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NCERT Class 10 Economics Chapter 2 Solutions अर्थशास्त्र – भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

by Sudhir
January 4, 2022
in 10th Social Science, Class 10th Solutions
Reading Time: 12 mins read
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NCERT Class 10th Social Science Solutions
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NCERT Class 10 Economics Chapter 2 Solutions अर्थशास्त्र – भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक

Table of Contents

  • NCERT Class 10 Economics Chapter 2 Solutions अर्थशास्त्र – भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक
    • अध्याय-समीक्षा 
    • अभ्यास-प्रश्नावली
    • अतिरिक्त प्रश्नोत्तर

इस आर्टिकल में हम आपको NCERT Class 10 Economics Chapter 2 भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्रक का समाधान प्रदान कर रहे है. यहाँ आपको पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों के अतिरिक्त परीक्षा उपयोगी अन्य प्रश्नों के समाधान भी आसान भाषा में मिल जाएंगे.

अध्याय-समीक्षा 


  • प्राथमिक क्षेत्रक वह क्षेत्र है जिसमें प्राकृतिक साधनों का प्रयोग करके वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है। जैसे – कृषि, पशुपालन, मत्शय पालन, 
  • द्वितीयक क्षेत्रक वह क्षेत्र है जिसमें उद्यम प्राथमिक उद्योग से प्राप्त वस्तु को दूसरे अन्तिम प्रकार में परिवर्तित करते है। विनिर्माण उद्योग आदि |
  • तृतीयक क्षेत्रक या सेवा क्षेत्र प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्रक के उद्योगों की सेवाओं के
    लिए उत्पादन करता है। जैसे- परिवहन, बैंकिंग आदि | 
  • सार्वजनिक क्षेत्र जिनमें अधिकांश परिसंपतियों पर सरकार का स्वामित्व होता है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलबध कराती है।
  • निजी क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जिसमें परिसंपतियों पर स्वामित्व और सेवाओं के वितरण
    की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कम्पनी के हाथों में होती है।
  • ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम 2005 – केन्द्रीय सरकार ने भारत के 200 जिलों में
    काम का अधिकार लागू करने के लिए एक कानून बनाया है।
  • शिक्षित बेरोजगारी:- जब शिक्षित, प्रशिक्षित, कुशल व्यक्तियों को उनकी योग्यता के
    अनुसार काम नहीं मिलता।
  • कुशल श्रमिक वह है जिसने उचित प्रशिक्षण प्राप्त किया है। अकुशल श्रमिक वे होते हैं
    जिन्होंने कोई प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया।
  • ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम को 2005 में लागु किया गया |
  • संचार तृतीय क्षेत्रक का उद्यम है |
  • सवेतन छुट्टी का प्रावधान संगठित क्षेत्रक में होता है |
  • प्राथमिक क्षेत्रक 1973 से पहले भारत का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र था | 
  • निजी क्षेत्रक लाभ कमाने के उदेश्य से कार्य करती है |
  • सार्वजानिक क्षेत्रक का उदेश्य सामाजिक कल्याण और सुरक्षा होता है |
  • मधुमक्खी पालन प्राथमिक क्षेत्रक की गतिविधि है | 
  • आटे से विस्कुट बनाना द्वितीयक क्षेत्रक की गतिविधि है | 

अभ्यास-प्रश्नावली


 प्रश्न 1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

(i) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ……….। (हुई है/नहीं हुई है‌)
उत्तर: नहीं हुई है

(ii) …………..क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)

उत्तर: तृतीयक

(iii) …………..क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
उत्तर: संगठित

(iv) भारत में …………..संख्या में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़ी/छोटी)
उत्तर: बड़ी

(v) कपास एक …………उत्पाद है और कपड़ा एक ………….उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित‌)
उत्तर: प्राकृतिक, विनिर्मित

(vi) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ ………….हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर: परस्पर निर्भर

प्रश्न 2. सही उत्तर का चयन कीजिए 

(a) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित है।                                    (i) रोजगार की शर्तों                                                                  (ii) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव                                                        (iii) उद्यमों के स्वामित्व                                                              (iv) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या

उत्तर: (iii) उद्यमों के स्वामित्व

(b) एक वस्तु का अधिकांशत: प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन ……………क्षेत्रक की गतिविधि है।
(i) प्राथमिक
(ii) द्वितीयक
(iii) तृतीयक
(iv) सूचना औद्योगिकी

उत्तर: (i) प्राथमिक

(c) किसी विशेष वर्ष में उत्पादित ……………के मूल्य के कुल योगफल को जीडीपी कहते हैं।
(i) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ii) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(iii) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(iv) सभी मध्यवर्ती ईवं वस्तुओं और सेवाओं

उत्तर: (ii) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं

(d) जीडीपी के पदों में वर्ष 2003 में तृतीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी ………..है।
(i) 20% से 30% के बीच
(ii) 30% से 40% के बीच
(iii) 50% से 60% के बीच
(iv) 70% से 80% के बीच 

उत्तर: (iii) 50% से 60% के बीच

प्रश्न 3. कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ कुछ संभावित उपाय

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उत्तर: 

(1) असिंचित भूमि                    (d) सरकार द्वारा नहरों का निर्माण

(2) फसलों का कम मूल्य              (c) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली

(3) कर्ज भार                        (e) कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना

(4) मंदी काल में रोजगार का अभाव     (a) कृषि आधारित मिलों की स्थापना

(5) कटाई के तुरंत बाद स्थानीय        (b) सहकारी विपणन समिति 

 व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता

प्रश्न 4. असंगत की पहचान करें और बताइए क्यों?

(क) पर्यटन-निर्देशक, धोबी, दर्जी, कुम्हार

उत्तर: पर्यटन निर्देशक तृतीयक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य प्राथमिक सेक्टर में

(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील

उत्तर: सब्जी विक्रेता प्राथमिक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य तृतीयक सेक्टर में

(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस कांस्टेबल

उत्तर: मोची द्वितीयक सेक्टर में काम करता है जबकि अन्य तृतीयक सेक्टर में

(घ) एम.टी.एन.एल., भारतीय रेल, एयर इंडिया, सहारा एयरलाइंस, ऑल इंडिया रेडियो

उत्तर: सहारा एयरलाइंस प्राइवेट सेक्टर में है जबकि अन्य पब्लिक सेक्टर में

प्रश्न 5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में काम करने वाले लोगों से मिलकर निम्न आँकड़े जुटाए

कार्य स्थानरोजगार की प्रकृतिश्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों मेंसंगठित  15 
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक   15 
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक   20  
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं  

तालिका को पूरा कीजिए। इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की प्रतिशतता क्या है 

उत्तर  

कार्य स्थानरोजगार की प्रकृतिश्रमिकों का प्रतिशत
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों मेंसंगठित      15
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाजारों में अपनी दुकान, कार्यालय और क्लिनिक संगठित      15
सड़कों पर काम करते लोग, निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक
 
असंगठित      20 
छोटी कार्यशालाएँ, जो प्राय: सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैंअसंगठित50 

असंगठित क्षेत्रक में 70% श्रमिक काम करते हैं।

प्रश्न 6. क्या आप मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है? व्याख्या कीजिए कि कैसे?

उत्तर: आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई दृष्टिकोण से उपयोगी है। इससे अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार समाज कल्याण के कार्यक्रम बना सकती है और सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।

प्रश्न 7. इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्रकों को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी‌) पर ही क्यों केंद्रित करना चाहिए? चर्चा करें।

उत्तर: जीडीपी से अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर मिलती है और विभिन्न क्षेत्रकों का योगदान समझ में आता है। नीति निर्धारकों के लिए जीडीपी एक तुरंत समझ में आने वाला रेफरेंस प्रदान करता है। इसलिए जीडीपी का अपना महत्व है। रोजगार के अवसरों से किसी भी अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए रोजगार की आँकड़े भी महत्वपूर्ण होते हैं।

प्रश्न 8. जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।                  उत्तर :     

प्राइमरी सेक्टरकिसान, दूधवाला, मछली वाला, आदि
सेकंडरी सेक्टरफैक्ट्री में काम करने वाला इंजीनियर और फोरमैन
टरशियरी सेक्टरचार्टर्ड एकाउंटेंट, बैंकर, शिक्षक, डॉक्टर, आदि

प्रश्न 9. तृतीयक क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से भिन्न कैसे है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।                                  उत्तर :

तृतीयक सेक्टरअन्य सेक्टर
किसी भी भौतिक वस्तु का निर्माण नहीं होता है।भौतिक वस्तु का निर्माण होता है।
मशीन की जरूरत नहीं पड़ती है।मशीन की जरूरत परती है 
इस सेक्टर में श्रमिकों के मानसिक क्षमता की अधिक जरूरत पड़ती है।इस क्षेत्र में श्रमिकों के शारीरिक परिश्रम की अधिक जरूरत पड़ती है।
उदाहरण: डिजाइनर, शेफ, शिक्षक, वकील, आदि।उदाहरण: मिस्त्री, बढ़ई, राजमिस्त्री, आदि।

प्रश्न 10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।                                                                उत्तर: जब एक श्रमिक काम तो कर रहा होता है लेकिन उसकी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है तो ऐसी स्थिति को प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। ऐसी स्थिति में एक श्रमिक किसी खास काम में इसलिये लगा रहता है क्योंकि उसके पास उससे बेहतर करने को कुछ भी नहीं होता। इस स्थिति में श्रमिक के पास कोई विकल्प नहीं होता बल्कि किसी खास काम को करने की मजबूरी होती है। गाँवों में ऐसा अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। अतिरिक्त लोग उस खेत पर इसलिए काम कर रहे होते हैं क्योंकि उनके पास करने को कोई बेहतर विकल्प नहीं होता है। यह छुपी हुई बेरोजगारी का एक जीवंत उदाहरण है। शहरी क्षेत्रों में किसी दुकान पर आपको कई भाई काम करते मिल जाएँगे। उनको अलग अलग दुकान चलाना चाहिए लेकिन सही अवसर के अभाव में उन्हें एक ही दुकान पर काम करने को बाध्य होना पड़ता है।

प्रश्न 11. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।

उत्तर: जब किसी आदमी के पास कोई काम नहीं होता है तो इसे बेरोजगारी कहते हैं। जब कोई आदमी काम तो कर रहा होता है लेकिन अपनी क्षमता का सदुपयोग नहीं कर पाता है तो इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। लेकिन जब किसी आदमी को काम बिल्कुल भी नहीं मिलता तो इसे खुली बेरोजगारी कहते हैं।

प्रश्न 12. “भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।“ क्या आप इससे सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।   

उत्तर;  यह कथन आंशिक रूप से सही है। जब हम 1973 से 2000 तक तृतीय सेक्टर की वृद्धि को देखते हैं तो कह सकते हैं कि इस सेक्टर में वृद्धि हुई है। 2003 के जीडीपी में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी सबसे अधिक है; जो इस सेक्टर के अच्छे पहलू को दिखाता है। लेकिन जब हम रोजगार के अवसरों के आँकड़े देखते हैं तो पता चलता है कि तृतीयक सेक्टर ने रोजगार के उतने अवसर नहीं बनाए जो जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी से मैच कर पाये। इसलिए हम कह सकते हैं कि रोजगार मुहैया कराने के मामले में तृतीयक सेक्टर में कोई वृद्धि नहीं हुई है।

प्रश्न 13. भारत में सेवा क्षेत्रक दो बिभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता है| ये लोग कोन कई है|  उत्तर: सर्विस सेक्टर में नियमित और अनियमित श्रमिक काम करते हैं। जो श्रमिक अपने हुनर और मानसिक क्षमताओं का प्रयोग करता है और सामान्यत: सीधे रूप से नियोजित होता है उसे नियमित श्रमिक कहते हैं। जो श्रमिक ऐसी सेवा प्रदान करता है जिसमें मानसिक क्षमताओं की खास भूमिका न हो उसे अनियमित या अनौपचारिक श्रमिक कहते हैं। अंशकालीन रूप से नियोजित श्रमिकों को भी अनियमित श्रमिक की श्रेणी में रखा जाता है। उदाहरण: एक ठेले का मालिक जो किसी प्रकाशक के यहाँ कागज पहुँचाता है एक अनियमित श्रमिक होता है।

प्रश्न 14. “असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।“ क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।

उत्तर: यह सही है कि असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। असंगठत क्षेत्रक में काम करने वालों को कम मेहनताना मिलता है और उन्हें लंबे समय के लिये काम करना पड़ता है। उन्हें छुट्टियाँ शायद ही मिलती हैं। उन्हें सामाजिक सुरक्षा भी नहीं मिलती है।

प्रश्न 15. अर्थव्यवस्था में गतिविधिया रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?   उत्तर;  रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को संगठित और असंगठित क्षेत्रक में बाँटा गया है।                                                                                                                                  प्रश्न 16. संगठित और असंगठित क्षेत्रकों की रोजगार परिस्थितियों की तुलना करें। 

उत्तर :                                                                                                                                        

संगठित क्षेत्रकअसंगठित क्षेत्रक
इस सेक्टर में काम एक सिस्टम से होता है और नियमों की सीमा रेखा के अंदर होता है।इस सेक्टर में कोई सिस्टम नहीं होता और ज्यादातर नियमों का उल्लंघन होता है।
इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार के नियमों के अनुसार होता है।
 
इस सेक्टर में दिया जाने वाला पारिश्रमिक सरकार द्वारा तय पारिश्रमिक से कम होता है।
श्रमिकों को नियम के हिसाब से सामाजिक सुरक्षा मिलती है।
 
सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है
नौकरी सामान्यत: सुरक्षित होती है।नौकरी की कोई सुरक्षा नहीं होती है।

प्रश्न 17. नरेगा 2005 के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।                                                                         उत्तर: ‘काम के अधिकार’ के लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से नरेगा 2005 को लागू किया गया था। इस प्रोग्राम के तहत ग्रामीण क्षेत्र के हर परिवार के एक व्यक्ति को साल में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी जाती है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन के लिये प्रतिबद्ध है। इस कार्यक्रम का एक और उद्देश्य है गाँवों से महानगरों की ओर होने वाले भारी पलायन को रोकना।                                                                

प्रश्न 18. अपने क्षेत्र से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना कीजिए।                                                                  उत्तर: इसे समझने के लिए भारत के किसी भी छोटे शहर की ट्रांसपोर्ट सेक्टर की बात करते हैं। ज्यादातर राज्यों में लंबी दूरी की बसों का परिचालन स्टेट ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन द्वारा किया जाता है जो एक पब्लिक सेक्टर ऑर्गेनाइजेशन है। इसके अलावा कई प्राइवेट ऑपरेटर भी बस चलवाते हैं। स्टेट ट्रांसपोर्ट के श्रमिकों को सही वेतन और अन्य सुविधाएँ मिलती हैं। लेकिन प्राइवेट ट्रांसपोर्ट में काम करने वाले लोगों को ये सुविधाएँ नहीं मिल पाती हैं। कई राज्यों में स्टेट ट्रांसपोर्ट की सेवा बड़ी खराब होती है इसलिए लोग प्राइवेट बसों में यात्रा करना पसंद करते हैं।                                                                                         

प्रश्न 19.  अपने क्षेत्र से एक एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिए:                

उत्तर:

 सुव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठनअव्यवस्थित प्रबंध वाले संगठन
सार्वजनिक क्षेत्रकएन.टी.पी.सी.बी.एस.एन.एल.
निजी क्षेत्रकटाटा पावरस्वादिष्ट ब्रेड कम्पनी

प्रश्न 20; सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहारण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यांवयन क्यों किया जाता है| 

उत्तर:                                                                            

गतिविधियाँसरकारी नियंत्रण के कारण
जल आपूर्तिजल एक मूलभूत आवश्यकता है और जल की आपूर्ति के लिए भारी पूंजी की आवश्यकता होती है। लेकिन लोगों को पीने का पानी कम से कम दाम में मुहैया कराना होता है।
रेल परिचालनरेल लाइन बिछाने और रेलगाड़ी खरीदने में भारी पूंजी की आवश्यकता होती है।
सड़कग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें बनाने में प्राइवेट कम्पनियों की कोई रुचि नहीं होती है।

 प्रश्न 21; व्याख्या कीजिए कि किसी देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?

उत्तर:  किसी भी देश के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर का अहम योगदान होता है। जब भारत एक गरीब देश हुआ करता था तो यहाँ की अर्थव्यवस्था को शुरुआती गति प्रदान करने में पब्लिक सेक्टर ने अहम भूमिका निभाई थी। पब्लिक सेक्टर ने आधारभूत उद्योग और आधारभूत संरचना तैयार की जिसके कारण प्राइवेट सेक्ट फल फूल सका। इस तरह से भारत के आर्थिक विकास में पब्लिक सेक्टर ने एक उत्प्रेरक का काम किया।

प्रश्न 22; असंगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है – मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य। उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।

उत्तर: सरकार द्वारा समय समय पर न्यूनतम मजदूरी घोषित की जाती है। किसी भी व्यक्ति के लिए जीवन के न्यूनतम स्तर पर जीने के लिये कम से कम इतनी आय की जरूरत पड़ती है। असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कई मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी भी नहीं मिल पाती है इसलिए वे हमेशा गरीबी के बोझ से दबे होते हैं। काम के दौरान सुरक्षा एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू होता है। सुरक्षा के अभाव में कोई विकलांग हो सकता है या उसकी मृत्यु भी हो सकती है। एक स्वस्थ मजदूर ही अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दे सकता है। इसलिए एक नियोक्ता को चाहिए कि अपने मजदूरों को स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध कराए। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधा दिलवाने के लिये हर किसी के पहल की आवश्यकता है।

प्रश्न 23; अहमदाबाद में किए गए एक अध्ययन पत्र में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष 1997 – 98 में नगर की कुल आय 600 करोड़ रुपये थी इसमें से 320 करोड़ रुपये संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होते थे। इस आँकड़े को सारणी में प्रदर्शित कीजिए‌। नगर में और अधिक रोजगार सृजन के लिए किन तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए|

उत्तर:    

 संगठित क्षेत्रअसंगठित क्षेत्रकुल योग
श्रमिकों की संख्या
 
400,0001,100,0001,500,000
कुल आय (करोड़ रुपये)320 280600

इस सारणी से यह स्पष्ट है कि असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले श्रमिकों की संख्या अधिक है। लेकिन संगठित क्षेत्र में प्रति व्यक्ति आय अधिक है। सरकार को चाहिए कि असंगठित क्षेत्रक के मालिकों को इस बात के लिये प्रोत्साहित करे कि वे संगठित क्षेत्रक में आ जाएँ। सरकार को इसके लिये कुछ प्रलोभन देना चाहिए; जैसे कि टैक्स ब्रेक।  

प्रश्न 24 ; निम्नलिखित तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद रुपये (करोड़) में दिया गया है:        

वर्ष प्राथमिक द्रितियक तृतीयक 
195080,000 19,000 39,000
2000314,000280,000555,000

(a) वर्ष 1950 एवं 2000 के लिए जीडीपी में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।

उत्तर: वर्ष 1950 में कुल जीडीपी = 80,000 + 19,000 + 39,000 = 138,000

वर्ष 1950 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी = (80,000/138,000) × 100=100 = 57.97%

वर्ष 1950 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी = (19,000/138,000) × 100 = 13.76%

वर्ष 1950 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी =(39,000 )/138,000 × 100 = 28.26%

वर्ष 2000 में कुल जीडीपी = 314,000 + 280,000 + 555,000 = 1,149,000

वर्ष 2000 में प्राथमिक सेक्टर की हिस्सेदारी = (314,000/1,149,000) × 100 = 27.32%

वर्ष 2000 में द्वितीयक सेक्टर की हिस्सेदारी = (280,000/1,149,000) × 100 = 24.36%

वर्ष 2000 में तृतीयक सेक्टर की हिस्सेदारी = (555,000/1,149,000) × 100 = 48.30%

(b) अध्याय में दिए आरेख 2 के समान एक दण्ड आरेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।          

उत्तर:

10 economics sector question answer

अतिरिक्त प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1. संगठित व असंगठित क्षेत्रकों में रोजगार की परिस्थितियों में अंतर का वर्णन कीजिए?

उत्तर –

संगठित क्षेत्र

(1) अधिक वेतन मिलना

(2) नौकरी सुरक्षित

(3) कार्य स्थिति अच्छी होती है

(4) काम के घंटे निश्चित

(4) काम के घन्टों की सीमा निर्धारित होती है।

(5) कर्मचारियों को योजना का लाभ

असंगठित क्षेत्र

(1) कम वेतन मिलना

(2) नौकरी सुरक्षित नहीं

(3) कार्य स्थिति निन्न होती है |

(4) काम के घन्टों की सीमा निर्धारित नहीं।

(5) इन्हें योजना का लाभ नहीं मिलता लाभ मिलता है।

प्रश्न 2. असंगठित क्षेत्रक में मजदूरों के समक्ष आने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिए?

उत्तर –

(1) यह क्षेत्रक सरकारी नियम एवं विनियमों को नहीं मानता है।

(2) इसमें बहुत से लोग अपने-अपने छोटे कार्य सड़कों पर विक्रय करते है।

(3) निन्न वेतन मिलना

(4 ) मजदूरी तय नहीं होती तथा रोजगार भी नियमित नहीं होता।

(5) यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने से वेतन छुट्टी अवकाश और बीमारी के कारण छुट्टी का प्रावधान नहीं।

(6) नौकरी असुरक्षित होती है।

प्रश्न 3. प्रच्छन्न (छुपी हुई) बेरोजगारी से क्या अभिप्राय है? ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों से उदाहरण दीजिए जहां इस प्रकार की बेरोगारी है?

उत्तर –

(1) लोग प्रत्यक्षत कार्यरत होते है मगर वास्तव में बेरोजगार होते है। एक ही काम पर जरूरत से ज्यादा लोग लगे रहते है।

(2) यह सामान्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि क्षेत्रक में पाया जाता है।

(3) शहरी क्षेत्रों में एक दुकान को परिवार के चार सदस्य चलाते है जहाँ दो के कार्य की आवश्यकता है।

प्रश्न 4. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम द्वारा भारत में रोजगार क्षेत्र की दशा में सुधार हेतु निभाई गई भूमिका का वर्णन कीजिए।

उत्तर –

(1) भारत सरकार ने काम के अधिकार लागू करने के लिए एक योजना बनाई है जिसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम खण्ड कहते है।

(2) सभी सक्षम लोग जिन्हें काम की जरूरत है।

(3) सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारंटी।

प्रश्न 5. सार्वजनिक क्षेत्रक तथा निजी क्षेत्रक में अंतर लिखिए।

उत्तर –

सार्वजनिक क्षेत्रक

(1) अधिकांश परिसम्पतियों पर सरकार का नियंत्रण

(2) सभी सेवाएँ सरकार उपलब्ध के हाथों में होती है।

(3) सार्वजनिक क्षेत्र की गतिविधियाँ की जाती है।

(4) श्रमिक रोजगार सुरक्षित।

निजी क्षेत्रक

(1) निजी स्वामित्व

(2) एक व्यक्ति या कम्पनी कराती है।

(3) ये केवल लाभ कमाने के लिए पूरे देश में है।

(4) श्रमिकों का रोजगार असुरक्षित।

प्रश्न 6. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी 2005 अधिनियम के तीन प्रावधान बताइए।

उत्तर –

(1) सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारंटी।

(2) काम उपलब्ध न होने की स्थिति में बेरोजगारी भत्ता देना।

(3) ग्रामीण क्षेत्रों में वरीयता देना।

(4) भविष्य में भूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद करने वालो को मदद।

प्रश्न 7. प्राथमिक क्षेत्रक से आप क्या समझते है? इस क्षेत्रक के किन्ही चार गतिविधियों को सूची बद्ध करे।

उत्तर – (1) प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित अनेक गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्रक होता है।

(2) इसमें प्राकृतिक वस्तु का उत्पादन होता है।

(3) उदाहरण- कृषि, डेयरी, मत्स्यन, वानिकी

प्रश्न 8. उदाहरणों की मदद से स्वामित्व के आधार पर क्षेत्रकों के मध्य अन्तर कीजिए?

उत्तर – सार्वजनिक क्षेत्रक- रेलवे, ओ. एन. जी. सी

निजी क्षेत्रक- रिलायंस, विपरो, इन्फोसिस

प्रश्न 9. क्या आप इस कथन से सहमत है कि असंगठित क्षेत्रों में कर्मचारी का शोषण किया जाता है। अपने उत्तर पक्ष में तीन तर्क प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर – (1) असंगठित क्षेत्रक सरकारी नियंत्रण से बाहर है। इस क्षेत्रक के नियम और विनिमय तो है परन्तु उनका पालन नहीं होता।

(2) कम वेतन तथा प्राय: नियमित नहीं है।

(3) अतिरिक्त समय में काम करने, सवेतन, छुट्टी, अवकाश बीमारी के कारण छुट्टी का प्रावधान नहीं है।

(4) रोजगार सुरक्षित नहीं है। बिना किसी कारण से हटाया जा सकता है।

प्रश्न 10. शहरी क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा करने की कोई तीन विधियाँ सुझाइए।

उत्तर – (1) क्षेत्रीय शिल्प उद्योग और सेवाओं को प्रोत्साहन देकर।

(2) पर्यटन उद्योग को प्रोत्साहन देकर।

(3) सरकार की नीतियाँ बदलकर

(4) मूलभूत सुविधाएँ ढाँचा विकास एवं कर्ज तथा तकनीकी सहायता देकर।

प्रश्न 11. संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को प्राप्त होने वाले किन्हीं तीन लाभो का उल्लेख कीजिए?

उत्तर –

(1) रोजगार सुरक्षा का लाभ

(2) अतिरिक्त समय में काम का प्रावधान

(3) सवेतन छुट्टी, अवकाश काल में भुगतान, भविष्य निधि सेवानुदान आदि मिलते है।

(4) चिकित्सीय लाभ और पेंशन का प्रावधान

प्रश्न 12. सकल घरेलु उत्पाद (जी. डी. पी.) किसे कहते है? भारत में इसे नापने का कार्य किस संगठन द्वारा किया जाता है?

उत्तर –

(1) सकल घरेलू उत्पाद किसी देश के भीतर किसी वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित अन्तिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य।

(2) उस वर्ष में क्षेत्रक के कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता है।

(3) मापन का कार्य केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकारें करती है।

प्रश्न 13. भारत में तृतीयक क्षेत्रक को इतना महत्वपूर्ण बनाने के लिए उत्तरदायी किन्हीं तीन कारकों को बताइए ?

उत्तर – (1) अनेक सेवाओं- अस्पताल, शैक्षिक संस्थाएं, डाक एवं तार रक्षा, परिवहन आदि की आवश्यकता।

(2) कृषि एवं उद्योग के विकास हेतु अनेक सेवाओं की आवश्यकता होती है।

(3) जैसे-जैसे आय बढ़ती है। कुछ लोग अन्य कई सेवाओं की मांग शुरू कर देते है।

(4) कुछ नई सेवाएं जैसे संचार एवं प्रौद्योगिकी पर आधारित सेवाएं।

प्रश्न 14. ग्रामीण भारत में रोजगार के अधिक अवसर उत्पन्न करने हेतु कोई चार सुझाव दीजिए?

उत्तर – (1) सिचांई की सुविधाओं को सुधारना चाहिए।

(2) शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार करना।

(3) ग्रामीण क्षेत्र में सुलभ, सस्ती और बेहतर परिवहन सेवाएं देकर कृषि और गैर कृषि को बढ़ावा देगी।

(4) कृषि आधारित उद्योगों, लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 15. तीव्र जनसंख्या वृद्धि किस प्रकार बेरोजगारी को प्रभावित करती है।

उत्तर – 1. रोजगार के अवसर जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में नहीं बढ़ते है।

2. द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र तीव्र गति के बढ़ रही जनसंख्या को पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदान नहीं कर पाते।

3. कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी बढ़ जाती है।

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