NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) काव्य एवं उसके प्रकार
काव्य की परिभाषा
‘छन्दबद्ध’ रचना काव्य कहलाती है।
आचार्य विश्वनाथ ने काव्य को परिभाषित करते हुए लिखा है—’वाक्यं रसात्मकं काव्यम्’।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार, “कविता शेष सृष्टि के साथ हमारे रागात्मक सम्बन्धों की रक्षा और निवास का साधन है। वह इस जगत के अनन्त रूपों, अनन्त व्यापारों और अनन्त चेष्टाओं के साथ हमारे मन की भावनाओं को जोड़ने का कार्य करती है।”
काव्य के भेद
काव्य के दो भेद माने गये हैं-
- श्रव्य काव्य,
- दृश्य काव्य
1. श्रव्य काव्य
जिस काव्य को पढ़कर या सुनकर आनन्द प्राप्त किया जाये,वह श्रव्य काव्य कहलाता है। श्रव्य काव्य के दो भेद माने गये हैं-
- प्रबन्ध काव्य,
- मुक्तक काव्य।
(अ) प्रबन्ध काव्य
प्रबन्ध काव्य वह काव्य रचना कहलाती है जिसकी कथा श्रंखलाबद्ध होती है। इसके छन्दों का सम्बन्ध पूर्वापर होता है। प्रबन्ध काव्य के तीन प्रकार माने गये हैं-
(i) महाकाव्य, (ii) खण्डकाव्य।(iii) आख्यानक गीतियाँ
(i) महाकाव्य
महाकाव्य में किसी महापुरुष के समस्त जीवन की कथा होती है। इसमें कई सर्ग होते हैं। मूल कथा के साथ प्रासंगिक कथाएँ भी होती हैं। महाकाव्य का प्रधान रस श्रृंगार, वीर अथवा शान्त होता है।
हिन्दी के प्रमुख महाकाव्य एवं उनके रचयिता-
पद्मावत मलिक मुहम्मद जायसी
रामचरितमानस तुलसीदास
रामचन्द्रिका केशवदास
प्रिय प्रवास अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
साकेत मैथिलीशरण गुप्त
कामायनी जयशंकर प्रसाद
(ii) खण्डकाव्य
खण्डकाव्य में जीवन का खण्ड चित्रण होता है। इसका नायक यशस्वी होता है। सीमित कलेवर में इसकी कथा अपने आप में पूर्ण होती है।
हिन्दी के प्रमुख खण्डकाव्य एवं उनके रचयिता-
सुदामा चरित्र नरोत्तमदास
पंचवटी मैथिलीशरण गुप्त
पथिक रामनरेश त्रिपाठी
हल्दीघाटी श्यामनारायण पाण्डेय
कुरुक्षेत्र रामधारी सिंह ‘दिनकर’
भस्मासुर नागार्जुन
(iii) आख्यानक गीत
महाकाव्य एवं खंडकाव्य से भिन्न पद्यबद्ध कहानी को आख्यानक गीत कहते हैं। इसमें शौर्य, पराक्रम, त्याग, बलिदान, प्रेम, करूणा आदि मानवीय भावों के प्रेरक एवं उद्बोधक घटना चित्र प्रस्तुत किए जाते हैं। नाटकीयता एवं गीतात्मकता इसकी प्रमुख विधाएँ हैं। इसकी भाषा सरल, स्पष्ट और रोचक होती है।
हिंदी साहित्य के प्रमुख आख्यानक गीत एवं उनके रचनाकार निम्नलिखित हैं-
1. झाँसी की रानी- सुभद्रा कुमारी चौहान
2. रंग में भंग- मैथिलीशरण गुप्त
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर
महाकाव्य और खंडकाव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. महाकाव्य का आकार विशाल होता है, जबकि खंडकाव्य का आकार सीमित होता है।
2. महाकाव्य में संपूर्ण जीवन का अंकन होता है, जबकि खंडकाव्य में जीवन के किसी एक खंड का अंकन होता है।
3. महाकाव्य में अनेक छंदों का प्रयोग किया जाता है, जबकि खंडकाव्य में एक ही छंद का प्रयोग होता है।
4. महाकाव्य में श्रंगार, वीर एवं शांत रस की प्रधानता होती है, जबकि खंडकाव्य में श्रृंगार एवं करुण रस की प्रधानता होती है।
(ब) मुक्तक काव्य
मुक्तक काव्य में प्रत्येक छन्द स्वयं में पूर्ण होता है तथा पूर्वापर सम्बन्ध से मुक्त होता है।
बिहारी सतसई के दोहे,कबीर की साखी मुक्तक काव्य हैं।
प्रबंध काव्य एवं मुक्तक काव्य में अंतर
प्रबंध काव्य एवं मुक्तक काव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. प्रबंध काव्य में छंद एक कथासूत्र में पिरोए हुए होते हैं, जबकि मुक्तक काव्य में छंद एक-दूसरे से स्वतंत्र होते हैं।
2. प्रबंध काव्य में किसी एक व्यक्ति के जीवन चरित्र का वर्णन होता है, जबकि मुक्तक काव्य में किसी अनुभूति, कल्पना या भाव का चित्रण होता है।
3. प्रबंध काव्य विस्तृत होता है, जबकि मुक्तक काव्य विस्तृत नहीं होता।
4. प्रबंध काव्य में छंदों के क्रम को परिवर्तित नहीं किया जा सकता, जबकि मुक्तक काव्य में छंदों के क्रम को परिवर्तित किया जा सकता है।
2.दृश्य काव्य
जिस रचना का आनन्द देखकर, सुनकर या पढ़कर लिया जा सके, उसे ‘दृश्य काव्य’ कहते हैं। जैसे जयशंकर प्रसाद लिखित ‘स्कंदगुप्त’ नाटक।
इसके दो भेद हैं- नाटक और एकांकी।
नाटक
इसमें अभिनय तत्व की प्रधानता रहती है। इसमें मानवीय जीवन के क्रियाशील कार्यों का अनुकरण होता है। इसमें कई अंक होते हैं।
एकांकी
एकांकी एक अंक वाला दृश्य काव्य है। यह एक ऐसी रचना है जिसमें मानव जीवन के किसी एक पक्ष, एक चरित्र, एक समस्या और एक भाव की अभिव्यक्ति होती है।
नाटक और एकांकी में अंतर-
क्र. | नाटक | एकांकी |
1. | नाटक में अनेक अंक होते है। | एकांकी में एक अंक होता है। |
2. | नाटक में अधिकारिक कथा के साथ-साथ सहायक गौण कथाएं भी होती है। | एकांकी में एक ही कथा और घटना होती है। |
3. | नाटक में चरित्र का क्रमशः विकास दर्शाया जाता है। | एकांकी में पात्रों की क्रियाकलापों और चरित्रों का संयोजन इस रूप में होता है कि एकांकी होते हुए भी उसके व्यक्तित्व का समूचा बिम्ब मिल जाए। |
4. | नाटक के कथानक में फैलाव और विस्तार होता है। | एकांकी के कथानक में ही घनत्व रहता है। |
श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य में अंतर
श्रव्य काव्य और दृश्य काव्य में अंतर निम्नलिखित है-
1. श्रव्य काव्य का रसास्वादन सुनकर या पढ़कर किया जाता है, जबकि दृश्य काव्य का रसास्वादन देखकर, सुनकर या पढ़कर किया जाता है।
2. श्रव्य काव्य, दृश्य काव्य हो सकता है, किंतु दृश्य काव्य, श्रव्य काबिल नहीं हो सकता।
3. श्रव्य काव्य के अंतर्गत गीत, दोहे, पद आदि आते हैं, जबकि दृश्य काव्य के अंतर्गत नाटक और एकांकी आते हैं।
4. श्रव्य काव्य का उदाहरण- तुलसीदास का रामचरित मानस (महाकाव्य), दृश्य काव्य का उदाहरण- जयशंकर प्रसाद का स्कंदगुप्त नाटक