NCERT Class 10 Civics Chapter 5 Solutions जनसंघर्ष और आंदोलन
इस आर्टिकल में हम आपको NCERT Class 10 Civics Chapter 5 जनसंघर्ष और आंदोलन का समाधान प्रदान कर रहे है. यहाँ आपको पाठ्यपुस्तक के प्रश्नों के अतिरिक्त परीक्षा उपयोगी अन्य प्रश्नों के समाधान भी आसान भाषा में मिल जाएंगे.
अध्याय समीक्षा
- राजनीति को प्रभावित करने वाले अप्रत्यक्ष तरीके दवाब-समूह और आन्दोलन हैं|
- विश्व बैंक के दवाब में आकर सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए जिससे पानी की कीमत में चार गुना वृद्धि हो गई|
- ” असम आन्दोलन ” जब इस आन्दोलन की समाप्ति हुई तो इस आन्दोलन ने ‘ असम गण परिषद् ‘ का रूप ले लिया|
- चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी को माओवादी कहा जाता था|
- दवाब-समूह एक ऐसा अप्रत्यक्ष तरीका हैं जिसके द्वारा लोग सरकार से अपनी मांग अथवा नजरिए का इज़हार कर सकते हैं| लोग इसके लिए संगठन बनाकर अपने हितों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियाँ कर सकते हैं, जैसे; मजदूर संघ, व्यवसाय संगठन आदि|
- राजनीतिक दलों की सदस्यता व्यापक होती हैं| राजनीतिक दल संवैधानिक साधनों का प्रयोग करते हैं |
- राजनीतिक दलों का उद्देश्य चुनाव द्वारा राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना होता हैं|
- दबाव-समूह का प्रत्यक्ष रूप से सत्ता पर नियंत्रण नहीं होता|
अभ्यास प्रश्नोत्तर
1. दबाव-समूह और आंदोलन राजनीतिक को किस तरह प्रभावित करते हैंं?
उत्तर: दबाव-समूह और आंदोलन राजनीती को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित करते हैं:-
(i) जनता का समर्थन प्राप्त करना- दबाव-समूह और आन्दोलन अपने संघर्षों में जनता का समर्थन या सहानुभूति प्राप्त करने का प्रयत्न करते हैं ताकि सरकार पर अधिक दबाव पड़ सके| इसके लिए सूचना अभियान चलाना, बैठके आयोजित करना या मीडिया को प्रभावित करके अपने पक्ष में करने का प्रयत्न किया ताकि उनके मसलों पर मीडिया ज्यादा ध्यान दे|
(ii) हड़ताल या सरकारी कार्य में बाधां डालना- मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ आमतौर पर हड़ताल या नियमों के अनुसार कार्य करने जैसे साधन अपनाते हैं | मजदूर संगठन, कर्मचारी संघ तथा अधिकतर आन्दोलनकारी समूह अक्सर ऐसी युक्तियों का प्रयोग करते हैं कि सर्कार उनकीं मांगों की ओर ध्यान दे | सर्कार को ऐसी परिस्थिति में कोई सख्त कार्यवाही करनी पडती हैं|
(iii) समित्तियों और निकायों में भाग लेना – कई बार दबाव-समूह या आंदोलनकर्ताओ के प्रतिनिधि सरकारी समितियों के सदस्य बनकर अपनी बैठकों में सरकार को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं ताकि उनकी मांगों को पूरा कर सके|
2. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधें का स्वरूप कैसा होता है, वर्णन करें।
उत्तर: (i) राजनीतिक दलों द्वारा दबाव-समूह का निर्माण- कई बार राजनीतिक दलों द्वारा दबाव-समूह का निर्माण किया जाता हैं| ऐसे दबाव-समूह दल की शाखा के रूप में काम करते हैं |
(ii) आन्दोलन का राजनीतिक दल का रूप धारण करना – कभी-कभी आन्दोलन राजनीतिक दल का रूप धारण कर लेते हैं| जैसे- असम में विदेशी लोगो के विरुद्ध आन्दोलन की समाप्ति पर ‘आसू’ से ‘असम गण परिषद्’ का निर्माण हुआ|
(iii) दबाव-समूह, आंदोलन और राजनीतिक दलों में संवाद व परामर्श होना- साधारणतया दबाव-समूह, आन्दोलन और राजनीतिक दलों में विरोधाभास होता हैं फिर भी इनमें आपस में बातचीत और विचार-विमर्श चलता रहता हैं| इस बातचीत में विभिन्न प्रश्नों व समस्याओ का हल ढूँढने का प्रयत्न किया जाता हैं| के बार इन दबावों से ही नए नेताओ का उदय होता हैं|
3. दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
उत्तर: (i) दबाव-समूहों की गतिविधियाँ से लोकतांत्रिक सरकार सुदृढ़ हुई है क्योंकि इससे सरकार के ऊपर दबाव डालना लोकतंत्र में हानिकारक नहीं होता बशर्ते इसका अवसर सबको प्राप्त हो|
(ii) जब कभी धनी और प्रभावशाली व्यक्ति या वर्ग सरकार पर दबाव डालकर अपने हितों की रक्षा हेतु या अपने हित में नीति निर्माण करवाता हैं तो जन-साधारण दबाव समूह के द्वारा सरकार के उपर दबाव डालकर ऐसी नीति अपनाने से रोक सकते हैं| इस प्रकार दबाव समूह जनहित की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते है|
4. दबाव-समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर: दवाब-समूह एक ऐसा अप्रत्यक्ष तरीका हैं जिसके द्वारा लोग सरकार से अपनी मांग अथवा नजरिए का इज़हार कर सकते हैं| लोग इसके लिए संगठन बनाकर अपने हितों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियाँ कर सकते हैं, जैसे; मजदूर संघ, व्यवसाय संगठन आदि|
5. दबाव-समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है?
उत्तर:
दबाव-समूह | राजनीतिक दल |
(i) दवाब-समूह का एक निश्चित हित या उद्देश्य होता हैं| वह सामूहिक रूप से अपने सदस्यों के हित के लिए कार्य करते हैं| | (i) इनका एक विस्तृत आधार का कार्यक्रम होता हैं जिसमें राष्ट्रीय हित के विभिन्न पक्ष सम्मिलित होते हैं| |
(ii) दबाव-समूह की सदस्यता सीमित होती हैं| | (ii) राजनीतिक दलों की सदस्यता व्यापक होती हैं| |
(iii) दबाव-समूह का प्रत्यक्ष रूप से सत्ता पर नियंत्रण नहीं होता| | (iii) ||राजनीतिक दलों का उद्देश्य चुनाव द्वारा राजनीतिक शक्ति प्राप्त करना होता हैं| |
(iv) दबाव-समूह प्रदर्शन, हड़ताल आदि के द्वारा अपनी मांगे पूरी करवाते हैं| | (iv) राजनीतिक दल संवैधानिक साधनों का प्रयोग करते हैं| |
(v) यह एक अनौपचारिक संस्था हैं| | (v) राजनीतिक दल एक नियमित संस्था हैं| |
6. जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मशदूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें ———– कहा जाता है।
उत्तर: हित समूह|
7. निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव-समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है –
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं जबकि दबाव-समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) दबाव-समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा श्यादा लोगों तक फैला होता है।
(ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
(घ) दबाव-समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
उत्तर: (ग) दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
8. सूची-I (संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची-II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई
सारणी से सही उत्तर चुनिए :
सूची-I | सूची-II |
1 किसी विशेष तबके या समूह के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन | (क) आंदोलन |
2 जन-सामान्य के हितों को बढ़ावा देने वाले संगठन | (ख) राजनीतिक दल |
3 किसी सामाजिक समस्या के समाधन के लिए चलाया गया एक ऐसा संघर्ष जिसमें सांगठनिक संरचना हो भी सकती है और नहीं भी। | (ग) वर्ग-विशेष के हित समूह |
4 ऐसा संगठन जो राजनीतिक सत्ता पाने की गरज से लोगों को लामबंद करता है। | (घ) लोक कल्याणकारी हित समूह |
1 | 2 | 3 | 4 | |
(क) | ग | घ | ख | क |
(ख) | ग | घ | क | ख |
(ग) | घ | ग | ख | क |
(घ) | ख | ग | घ | क |
उत्तर: (ख) ग, घ, क, ख|
9. सूची-I का सूची-II से मिलान करे, जो सूचियों के नीचे दी गई सारणी में सही उत्तर हो, चुने-
सूची-I | सूची-II |
(1) दवाब-समूह | (क) नर्मदा बचाओ आंदोलन |
(2) लंबी अवधि का आन्दोलन | (ख) असम गण परिषद् |
(3) एक मुद्दे पर आधारित आंदोलन | (ग) महिला आंदोलन |
(4) राजनीतिक दल | (घ) खाद विक्रेताओ का संघ |
1 | 2 | 3 | 4 | |
(अ) | घ | ग | क | ख |
(ब) | ख | क | घ | ग |
(स) | ग | घ | ख | क |
(द) | ख | घ | ग | क |
उत्तर: (अ) घ, ग ,क, ख|
10. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
(क) दबाव-समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव-समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई न कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव-समूह राजनीतिक दल होते हैं।
अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें –
(अ) | क, ख और ग |
(ब) | क और ख |
(स) | ख और ग |
(द) | क और ग |
उत्तर: (ब) क और ख|
NCERT Class 10 Civics Chapter 5 Solutions जनसंघर्ष और आंदोलन अतिरिक्त प्रश्न
1 अंक वाले प्रश्न
प्रश्न 1: नेपाल लोकतंत्र की किस लहर का देश हैं?
उत्तर: तीसरी लहर के देशों में से एक हैं|
प्रश्न 2: नेपाल में 2006 अप्रैल में प्रारंभ हुए आन्दोलन का उद्देश्य क्या था?
उत्तर: इसका उद्देश्य शासन की बागडोर रजा के हाथ से लेकर दोबारा जनता के हाँथों में सौपना|
प्रश्न 3: राजनीति को प्रभावित करने के अप्रत्यक्ष तरीके कौन-से हैं?
उत्तर: राजनीति को प्रभावित करने वाले अप्रत्यक्ष तरीके दवाब-समूह और आन्दोलन हैं|
प्रश्न 4: संगठित राजनीति के किन्हीं दो माध्यमों का उल्लेख करों|
उत्तर: इनके माध्यमों में राजनीति दल, दवाब-समूह और आन्दोलनकारी समूह|
प्रश्न 5: बोलिवियान में जल युद्ध का कारण क्या था?
उत्तर: विश्व बैंक के दवाब में आकर सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए जिससे पानी की कीमत में चार गुना वृद्धि हो गई|
प्रश्न 6: बोलिविया में आन्दोलन का नेतृत्व किस संगठन द्वारा किया गया|
उत्तर: ‘ फेडेकोर ‘ द्वारा|
प्रश्न 7: हित समूह के दो उदारहण दीजिए|
उत्तर: मजदूर संगठन और व्यवसायिक संगठन|
प्रश्न 8: किसी एक आन्दोलन का जिसने आन्दोलन की समाप्ति पर राजनीतिक दल का रूप ले लिया|
उत्तर: ” असम आन्दोलन ” जब इस आन्दोलन की समाप्ति हुई तो इस आन्दोलन ने ‘ असम गण परिषद् ‘ का रूप ले लिया|
प्रश्न 9: आन्दोलनकारी समूह का एक उदहारण दे|
उत्तर: ” नर्मदा बचाओ आन्दोलन ” |
प्रश्न 10: माओवादी कौन हैं?
उत्तर: चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी को माओवादी कहा जाता था|