NCERT Class Solutions
  • Home
  • 9th Solutions
    • Maths Solutions
    • Science Solutions
    • Social Science Solutions
  • 10th Solutions
    • Science Solutions
    • Maths Solutions
    • Social Science Solutions
    • English Solutions
    • Hindi Solutions
    • Sanskrit Solutions
  • NCERT Books
    • Class 10 Books PDF
    • Class 9 Books PDF
  • About Us
    • Write for Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
  • MP Board
    • MP Board Solutions
    • Previous Year Papers
No Result
View All Result
  • Home
  • 9th Solutions
    • Maths Solutions
    • Science Solutions
    • Social Science Solutions
  • 10th Solutions
    • Science Solutions
    • Maths Solutions
    • Social Science Solutions
    • English Solutions
    • Hindi Solutions
    • Sanskrit Solutions
  • NCERT Books
    • Class 10 Books PDF
    • Class 9 Books PDF
  • About Us
    • Write for Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
  • MP Board
    • MP Board Solutions
    • Previous Year Papers
No Result
View All Result
NCERT Class Solutions
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home Class 10th Solutions

NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण

by Sudhir
December 17, 2021
in Class 10th Solutions, 10th Hindi
Reading Time: 3 mins read
0
NCERT Class 10th Hindi Solutions
15
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

Table of Contents

Toggle
  • NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण
    • पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
    • योग्यता विस्तार
    • परियोजना कार्य
    • अन्य पाठेतर हल प्रश्न
      • लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
      • दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 आत्मत्राण

NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 9 are provided here. We have covered all the intext questions of your textbook given in the lesson. We have also provided some additional questions which are important with respect to your exam. Read all of them to get good marks.

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
कवि किससे और क्या प्रार्थना कर रहा है?
उत्तर
कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है कि वे विपत्ति का सामना करने के लिए शक्ति प्रदान करें। निर्भयता का वरदान दें ताकि वह संघर्षों से विचलित न हो। वह अपने लिए सहायक नहीं आत्मबल और पुरुषार्थ चाहता है। सांत्वना-दिलासा नहीं बहादुरी चाहता है। वंचना, निराशा और दुखों के बीच प्रभु की कृपा शक्ति और सत्ता में आत्म-विश्वास का भाव चाहता है।

प्रश्न 2.
‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं-कवि इस पंक्ति के द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर
‘विपदाओं से मुझे बचाओ, यह मेरी प्रार्थना नहीं’- के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि हे ईश्वर ! मेरे जीवन में जो भी दुख और कष्ट आने वाले हैं आप उनसे मुझे मत बचाओ। मैं आपसे इसको सहने के लिए साहस और शक्ति माँगता हूँ ताकि इन दुखों से घबराकर हार न मान बैठें। मैं साहसपूर्वक इनसे संघर्ष करना चाहता हूँ।

प्रश्न 3.
कवि सहायक के न मिलने पर क्या प्रार्थना करता है?
उत्तर
कवि जीवन संघर्ष में सहायक न मिलने पर ईश्वर को कोई दोष नहीं दे रहा है, बल्कि प्रभु से प्रार्थना कर रहा है कि विपत्ति में उसका बल और पौरुष न हिले यदि समस्त संसार भी उसके साथ धोखा करे तो भी उसका आत्मबल और विश्वास न डिगे। वह साहस और दृढ़ता से आपदाओं को कुचल दे।।

प्रश्न 4.
अंत में कवि क्या अननुय करता है?
उत्तर
अंत में कवि ईश्वर से यही प्रार्थना करता है कि सुख के पलों में भी वह ईश्वर को न भूले तथा इस समय में उसे प्रभु का चेहरा बार-बार नज़र आए। वह यह भी याद रखना चाहता है कि ये सुख भी उसके प्रभु की ही देन है। वह दुख के समय में प्रभु पर आस्था और विश्वास बनाए रखना चाहता है। वह किसी भी स्थिति में न अपने प्रभु पर विश्वास कम होने देना चाहता है और न उनकी शक्तियों के प्रति शंकाग्रस्त होना चाहता है।

प्रश्न 5.
“आत्मत्राण’ शीर्षक की सार्थकता कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
“आत्मत्राण’ कविता के संदर्भ में यह शीर्षक पूर्णरूप से सार्थक है। आत्मत्राण का अर्थ है-अपने भाव से निवारण या बचाव। कवि अपने मन के भय से छुटकारा पाना चाहता है और ईश्वर से इसी छुटकारे के लिए शक्ति प्राप्त करना चाहता है। वह जीवन की हर परिस्थिति का निर्भय होकर सामना करना चाहती है। वह समस्त विपदा, भय, ताप-दुख, हानि-लाभ और
वंचना स्वयं झेलने को तैयार है। केवल आत्मबल, पौरुष व आस्था का सहारा लेकर आत्मत्राण की कामना करता है।

प्रश्न 6.
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आप प्रार्थना के अतिरिक्त क्या-क्या प्रयास करते हैं?
उत्तर
अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं ईश्वर से प्रार्थना के अतिरिक्त निम्नलिखित प्रयास करता हूँ-

  1. इच्छाओं की पूर्ति के लिए उपाय सोचता हूँ।
  2. इसके लिए योजनाबद्ध कदम उठाता हूँ।
  3. इसे पूरा करने के लिए कठोर परिश्रम करता हूँ।
  4. यदि एक प्रयास में इच्छापूर्ति नहीं होती है तो निराश नहीं होता हूँ।
  5. भाग्य के सहारे बैठने के बजाय पुनः उत्साहपूर्वक प्रयास करता हूँ।
  6. साहस एवं मनोबल बनाए रखने के लिए प्रभु से प्रार्थना करता हूँ।

प्रश्न 7.
क्या कवि की यह प्रार्थना आपको अन्य प्रार्थना गीतों से अलग लगती है? यदि हाँ, तो कैसे?
उत्तर
कवि की यह प्रार्थना अन्य प्रार्थनाओं से भिन्न है। अधिकतर प्रार्थनाएँ सुख-सुविधाओं से भरा जीवन, धन-वैभव की लालसा आदि लिए रहती हैं और दुख से बचने के लिए प्रयत्नशील होती हैं। जबकि इस प्रार्थना में कवि हर काम में ईश्वर की सहायता नहीं चाहता। अन्य प्रार्थना गीतों में दास्यभाव व आत्मसमर्पण की भावना अधिक होती है। प्रायः मनुष्य ईश्वर से प्रार्थना करता है। कि उसे दुखों का सामना न करना पड़े किंतु इस गीत में कवि ईश्वर से प्रार्थना करता है कि ईश्वर उसे दुखों को सहन करने की शक्ति दे। वह मुसीबत में भयग्रस्त नहीं होना चाहता है और सुख के दिनों में भी प्रभु का स्मरण बनाए रखना चाहता है।

(ख) निम्नलिखित अंशों का भाव स्पष्ट कीजिए

प्रश्न 1.
नत शिर होकर सुख के दिन में
तव मुख पहचानँ छिन-छिन में।
उत्तर
भाव-कवि चाहता है कि हमें ईश्वर को हर क्षण याद रखना चाहिए। प्रायः मनुष्य दुख में तो ईश्वर को याद करते हैं परंतु सुख में भूल जाते हैं। हमें सुख के प्रत्येक पल में परमात्मा का अहसास करना चाहिए। उन्हें स्मरण रखना चाहिए। प्रायः लोग सुख में परमात्मा को भूल जाते हैं। वे अपनी शक्ति पर घमंड करने लगते हैं। कवि की कामना है कि वह ऐसे घमंड से बची रहे।

प्रश्न 2.
हानि उठानी पड़े जगत् में लाभ अगर वंचनी रही
तो भी मन में न मार्ने क्षय। |
उत्तर
भाव यह है कि कवि को अपने जीवन में भले ही बार-बार हानि उठानी पड़े और लोगों के छल-कपट का शिकार होना पड़ा हो, तब भी कवि इसके लिए प्रभु का दोष न मानते हुए अपने मन में निराशा और दुख नहीं आने देना चाहता है। वह चाहता है कि दुख की दशा में भी प्रभु से उसकी आस्था, विश्वास में कमी न आने पाए।

प्रश्न 3.
तेरने की हो शक्ति अनमय
मेरा भार अगर लघु करके न दो सांत्वना नहीं सही।
उत्तर
भाव-कवि कामना करता है कि विपरीत परिस्थितियों से घिरा होने पर दुख में भी यदि प्रभु उसे सांत्वना न दे, न सही। सांत्वना के अभाव में उसके जीवन का दुख भार कम न हो तो न सही, परंतु ईश्वर उसे दुखों को सहने की अदम्य शक्ति प्रदान करे ताकि उस शक्ति व आत्मबल से वह दुःखों पर काबू पा सके। कवि किसी प्रकार की सांत्वना का इच्छुक नहीं है; वह तो निर्भय होकर हर दुख का सामना करना चाहता है।

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीतों की रचना की है। उनके गीत-संग्रह में से दो गीत छाँटिए और कक्षा में कविता-पाठ कीजिए।

उत्तर- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2. अनेक अन्य कवियों ने भी प्रार्थना गीत लिखे हैं, उन्हें पढ़ने का प्रयास कीजिए; जैसे

1. महादेवी वर्मा- क्या पूजा क्या अर्चन रे!
2. सूर्यकांत त्रिपाठी निराला- दलित जन पर करो करुणा।
3. इतनी शक्ति हमें देना दाता
मन का विश्वास कमज़ोर हो न
हम चलें नेक रस्ते पर हम से
भूल कर भी कोई भूल हो न

इसे प्रार्थना को ढूँढ़कर पूरा पढ़िए और समझिए कि दोनों प्रार्थनाओं में क्या समानता है? क्या आपको दोनों में कोई भी अंतर प्रतीत होता है? इस पर आपस में चर्चा कीजिए।

उत्तर- ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता’ और ‘आत्मत्राण’ दोनों ही कविताएँ प्रार्थना हैं जो पारंपरिक प्रार्थनाओं से हटकर हैं। दोनों ही प्रार्थनाओं में दुख से उबारने या दुख हर लेने की प्रार्थना न करके प्रभु के प्रति अटूट विश्वास बनाए रखने की शक्ति पाने की प्रार्थना की गई है। दोनों ही प्रार्थनाओं का भाव एक समान है किंतु इतनी शक्ति हमें देना दाता में कवि स्वयं नेक रास्ते पर चलने की अभिलाषा भी प्रकट करता है।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1. रवींद्रनाथ ठाकुर को नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय होने का गौरव प्राप्त है। उनके विषय में और जानकारी एकत्र कर परियोजना पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर- छात्र स्वयं करें।


प्रश्न 2. रवींद्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ को पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।

उत्तर- छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3. रवींद्रनाथ ठाकुर ने कलकत्ता (कोलकाता) के निकट एक शिक्षण संस्थान की स्थापना की थी। पुस्तकालय की मदद से उसके विषय में जानकारी एकत्रित कीजिए।

उत्तर- छात्र स्वयं करें।

 
प्रश्न 4. रवींद्रनाथ ठाकुर ने अनेक गीत लिखे, जिन्हें आज भी गाया जाता है और उसे रवींद्र संगीत कहा जाता है। यदि संभव हो तो रवींद्र संगीत संबंधी कैसेट व सी० डी० सुनिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘दुख’ के संबंध में हमारी प्रार्थना और कवि की प्रार्थना में क्या अंतर है?

उत्तर- ‘दुख’ के संबंध में हमारी प्रार्थना यह होती है कि प्रभु हमारे दुख हर लो। इस दुख से मुक्ति दिलाओ और दुखों से बचाकर रखना। कवि यह प्रार्थना करता है कि मैं दुखों से बचाने, उन्हें दूर करने की प्रार्थना नहीं कर रहा हूँ। मैं तो दुख सहने की शक्ति और साहस आपसे माँग रहा हूँ।

प्रश्न 2. ‘सुख के दिन’ के संबंध में जन सामान्य और कवि के दृष्टिकोण में अंतर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘सुख के दिनों में जन सामान्य सुख को अपने भाग्य का सुफल मानता है और वह प्रभु को भूला रहता है। कवि ‘सुख के दिनों को ईश्वर की कृपा के कारण मिला हुआ मानता है। वह सोचता है कि वह प्रभु को पल भर भी न भूले और सुख में भी उसका सिर झुके वह हरपल प्रभु का चेहरा देखे।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘आत्मत्राण’ कविता में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘आत्मत्राण’ कविता में कवि प्रभु से दुख दूर करने की प्रार्थना नहीं करता है बल्कि वह स्वयं अपने साहस और आत्मबल से दुखों को सहना चाहता है तथा उनसे पार पाना चाहता है। वह दुखों से मुक्ति नहीं, बल्कि उसे सहने और उबरने की आत्मशक्ति चाहता है। इस कविता में निहित संदेश यह है कि हम अपने दुखों के लिए प्रभु को जिम्मेदार न ठहराएँ। हम दुखों को सहर्ष स्वीकार करें तथा उनसे पीछा छुड़ाने के बजाय उन्हें सहें तथा उनका मुकाबला करें। दुखों से परेशान होकर । हम आस्थावादी बनने की जगह निराशावादी न बने। हम हर प्रकार की स्थिति में प्रभु के प्रति अटूट आस्था एवं विश्वास बनाए रखें।


प्रश्न 2. “आत्मत्राण’ कविता हमें दुख से संघर्ष करने का मार्ग दिखाती है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर :- ‘आत्मत्राण’ कविता में दुख के प्रति एक अलग दृष्टिकोण प्रकट हुआ है। इस कविता में दुख से पलायन करने की प्रवृत्ति त्यागकर उसे सहर्ष स्वीकारने तथा उस पर विजय पाने की प्रेरणा दी गई है। कविता में दुख और सुख दोनों को समान भाव से अपनाने का संदेश है। सुख के समय में भी प्रभु के प्रति मन में संदेह न पैदा होने देने तथा हर स्थिति में आस्था एवं विश्वास बनाए रखने के लिए प्रेरित किया गया है जिससे हमारी आस्थावादिता बढ़ती है। इस तरह सुख में प्रभु को धन्यवाद देने तथा दुख को आत्मबल से जीतने का भाव समाहित करने वाली यह कविता हमें दुख से संघर्ष करने का मार्ग दिखलाती है।

Previous Post

NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा

Next Post

NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 10 बड़े भाई साहब

Related

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions
10th Sanskrit

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 3 अनुच्छेदलेखमन्

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions
10th Sanskrit

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 4 चित्रवर्णनम्

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Categories

  • Books
    • Class 10 Books PDF
  • Class 10th Solutions
    • 10th English
    • 10th Hindi
    • 10th Maths
    • 10th Sanskrit
    • 10th Science
    • 10th Social Science
  • Class 9th Solutions
    • 9th Maths
    • 9th Science
    • 9th Social Science
  • MP Board
  • Uncategorized

Recent

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 4 चित्रवर्णनम्

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 3 अनुच्छेदलेखमन्

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 2 पत्रलेखनम्

NCERT Class Solutions

We provide NCERT Solutions

NCERT Class Solutions App Play Store

Follow Us

Browse By Category

  • Books
    • Class 10 Books PDF
  • Class 10th Solutions
    • 10th English
    • 10th Hindi
    • 10th Maths
    • 10th Sanskrit
    • 10th Science
    • 10th Social Science
  • Class 9th Solutions
    • 9th Maths
    • 9th Science
    • 9th Social Science
  • MP Board
  • Uncategorized
  • Write for Us
  • Privacy Policy
  • Contact Us

© 2022 NCERT Class Solutions .

No Result
View All Result
  • Home
  • 9th Solutions
    • Maths Solutions
    • Science Solutions
    • Social Science Solutions
  • 10th Solutions
    • Science Solutions
    • Maths Solutions
    • Social Science Solutions
    • English Solutions
    • Hindi Solutions
    • Sanskrit Solutions
  • NCERT Books
    • Class 10 Books PDF
    • Class 9 Books PDF
  • About Us
    • Write for Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
  • MP Board
    • MP Board Solutions
    • Previous Year Papers

© 2022 NCERT Class Solutions .

This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used. Visit our Privacy and Cookie Policy.