NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 कर चले हम फ़िदा
NCERT Class 10 Hindi Solutions Sparsh Chapter 8 are provided here. We have covered all the intext questions of your textbook given in the lesson. We have also provided some additional questions which are important with respect to your exam. Read all of them to get good marks.
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. क्या इस गीत की कोई ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है?
उत्तर
इस गीत की पृष्ठभूमि ऐतिहासिक है। सन् 1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण कर दिया था। इस युद्ध में अनेक भारतीय सैनिकों ने भारत चीन-सीमा पर लड़ते-लड़ते अपना अमर बलिदान दिया था। इसी युद्ध की पृष्ठभूमि पर चेतन आनंद ने ‘हकीकत फ़िल्म बनाई थी। इस फिल्म में भारत चीन युद्ध के यथार्थ को मार्मिकता के साथ दर्शाते हुए उसका परिचय जन सामान्य से करवाया गया था। इसी फिल्म के लिए प्रसिद्ध शायर कैफ़ी आज़मी ने ‘कर चले हम फिदा’ नामक मार्मिक गीत लिखा था।
प्रश्न 2.
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’, इस पंक्ति में हिमालय किस बात का प्रतीक है?
उत्तर
‘सर हिमालय का हमने न झुकने दिया’ इस पंक्ति में हिमालय भारत देश और देशवासियों के आन-बान और शान का प्रतीक है। हिमालय पर्वत भारत के उत्तर में स्थित है जो हमारे देश का मुकुट सरीखा है। इसे भारत का मस्तक भी कहा जाता है। चीन के आक्रमण के समय यह युद्ध हिमालय की तराई में हुआ था जिसमें भारतीयों ने अदम्य साहस और वीरता से शत्रुओं को वापस कदम खींचने पर विवश कर दिया और हिमालय का मान-सम्मान बचाए रखा।
प्रश्न 3.
इस गीत में धरती को दुल्हन क्यों कहा गया है?
उत्तर
इस गीत में धरती को ‘दुलहन’ की संज्ञा दिया गया है। जिस प्रकार दूल्हा अपनी दुलहन को पाने के लिए कुछ भी कर सकता है उसी प्रकार भारतीय सैनिक भी धरती रूपी दुलहन को पाने के लिए तथा उसके मान-सम्मान की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने को उत्सुक थे। इस धरती को पाना ही उनका एकमात्र लक्ष्य था भारतीय सैनिकों ने अपने बलिदान के खून से धरती रूपी दुलहन की माँग भरी थी। अतः सैनिक देश की रक्षा करते हुए मौत को गले लगाकर धरती को ही अपनी दुलहन स्वीकार करते हैं।
प्रश्न 4.
गीत में ऐसी क्या खास बात होती है कि वे जीवन भर याद रह जाते हैं?
उत्तर
गीतों में ऐसी अनेक बातें होती हैं जो उसे आजीवन के लिए यादगार बना देती हैं-
- तुकांतता- गीतों में पाई जाने वाली तुकांतता उसे सहज कंठस्थ बना देती है।
- छंदबद्धता- गीत छंदों में बँधे होते हैं जिससे ये आसानी से कंठस्थ हो जाते हैं।
- तुकांत की उपस्थिति- तुकांतता गीतों को सहज स्मरणीय बना देती है।
- गेयता- गीतों का एक प्रमुख गुण है गेयता जिसके कारण ये सरलता से लोगों की जुबान पर रचबस जाते हैं।
- मर्मस्पर्शिता- गीतों का एक गुण है-सहज ही मर्म को छू जाते हैं, जिससे ये लोगों की जुबान पर चढ़ जाते हैं।
प्रश्न 5.
कवि ने ‘साथियो’ संबोधन का प्रयोग किसके लिए किया है?
उत्तर
कवि ने ‘साथियों संबोधन का प्रयोग दूसरे सैनिक साथियों व देशवासियों के लिए किया है। घायल सैनिक मातृभूमि पर स्वयं को न्योछावर करते हुए मृत्यु को गले लगा रहे हैं। ये घायल सैनिक अपने देशवासी साथियो पर देश की रक्षा का भार सौंपकर ही दम तोड़ना चाहते हैं। घायल सैनिकों की अपने साथियों से अपेक्षा है कि वे उनकी मृत्यु के पश्चात देश की रक्षा कर अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। यदि अन्य साथी इनके बलिदान के पश्चात देश के सम्मान को बनाए रखेंगे तो इनकी कुर्बानियाँ व्यर्थ नहीं जाएँगी।
प्रश्न 6.
‘कवि ने इस कविता में किस काफिले को आगे बढ़ाते रहने की बात कही है?
उत्तर
कविता में कवि ने युद्ध भूमि में जाने वाले सैनिकों के काफ़िले को बढ़ाने की बात कही है जो रणक्षेत्र की ओर बढ़ रहा है। कवि चाहता है कि इस काफ़िले में सैनिकों की कमी नहीं होनी चाहिए। इसे सजाने का आह्वान करके कवि ने हर भारतीय को अपनी मातृभूमि की रक्षा करने की प्रेरणा दी है ताकि शत्रुओं से मुकाबला करने वाली टोली अपने पीछे रणक्षेत्र में आत्मोत्सर्ग करने को तत्पर साथियों को देखकर उत्साहित हो और दुश्मनों से वीरतापूर्वक युद्ध करते हुए उन्हें पराजित कर दे। देश की रक्षा करने वाले सैनिकों का यह काफ़िला शत्रुओं से मुकाबला करने से कभी पीछे न हटे।
प्रश्न 7.
इस गीत में ‘सर पर कफन बाँधना’ किस ओर संकेत करता है?
उत्तर
‘सर पर कफन बाँधना’ का अर्थ है-मृत्यु के लिए तैयार रहना। इस गीत में सर पर कफन बाँधना देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने की ओर संकेत करता है। देश की खातिर स्वयं को न्योछावर करने वाला बलिदानी अपने प्राणों का मोह त्याग कुर्बानी की राह पर निडरता से बढ़ता चला जाता है। उसे मौत का भय नहीं होता है। वह तो देश के मान-सम्मान की खातिर हर समय मरने-मिटने को तैयार रहता है।
प्रश्न 8.
इस कविता को प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर
‘कर चले हम फ़िदा’ नामक की रचना गीतकार कैफ़ी आज़मी द्वारा की गई है। इस पाठ की पृष्ठभूमि 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध पर आधारित है। इस कविता का केंद्र बिंदु भारतीय सैनिकों को साहसपूर्ण प्रदर्शन तथा देशवासियों से देश की रक्षा के लिए किया गया आह्वान है। उनके मन में देश प्रेम एवं देशभक्ति की उत्कट भावना है। वे घायल होकर किसी भी क्षण इस दुनिया से विदा हो सकते हैं परंतु उनकी देशभक्ति में कमी नहीं आने पाई है। वे चाहते हैं कि जिस देश के लिए वे साहस एवं वीरतापूर्वक लड़े और अपना बलिदान करने जा रहे हैं, उसे देशवासी कभी गुलाम न होने दे। वे अपने साथी सैनिकों एवं देशवासियों को अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए प्रेरित करते हुए प्राणोत्सर्ग करने का आह्वान करते हैं ताकि देश की शान और प्रतिष्ठा पर आँच न आने पाए। वे शत्रुओं को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दें कि फिर कोई शत्रु देश की ओर आँख उठाकर बुरी निगाह से देखने का साहस न कर सके।
(ख) निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए
प्रश्न 1.
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
उत्तर
भाव यह है कि सन् 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया था तो भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर उनका मुकाबला किया। यह हिमालय की घाटियों में हुआ था जहाँ तापमान बहुत कम था। ऐसी सरदी में धमनियों का रक्त जमता जा रहा था फिर भी सैनिक जोश और साहस से शत्रुओं का मुकाबला करते हुए आगे कदम बढ़ाते जा रहे थे।
प्रश्न 2.
खींच दो अपने खें से ज़मीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावन कोई
उत्तर
भाव-इन पंक्तियों का भाव यह है कवि सैनिक के माध्यम से यह कहना चाहता है कि हे साथियो! देश की रक्षा की खातिर खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हो जाओ। कारण यह है कि शत्रु को देश की ओर कदम बढ़ाने से रोकने के लिए रक्त से लक्ष्मण रेखाएँ अर्थात् लकीरें खींचनी पड़ती हैं तभी शत्रु हमारे देश की सीमा में घुसने का दुस्साहस नहीं कर पाता है। कवि का ऐसा मानना है कि देश की रक्षा शक्ति और बलिदान से ही होती है और हमें देश की रक्षा के लिए बलिदान देने से हिचकना नहीं चाहिए।
प्रश्न 3.
छू न पाए सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियो
उत्तर
भाव यह है कि हमारा देश भारत और हमारी जन्मभूमि सीता की तरह ही पवित्र है। किसी समय रावण ने सीता का दामन छूने का दुस्साहस कर लिया था परंतु अब शत्रुओं को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दो कि भारत माता की ओर आने का साहस कोई न कर सके। सीता रूपी भारत माता की रक्षा का दायित्व अब तुम्हारे कंधों पर है। तुम्हें राम-लक्ष्मण बनकर इसके मान-सम्मान को बनाए रखना है।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
इस गीत में कुछ विशिष्ट प्रयोग हुए हैं। गीत के संदर्भ में उनका आशय स्पष्ट करते हुए अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
कट गए सर, नब्ज़ जमती गई, जान देने की रुत, हाथ उठने लगे
उत्तर
- कट गए सर-मृत्यु को प्राप्त होना-देश की रक्षा के लिए अनेक सैनिकों के सर कट गए।
- नज़ जमती गई-नसों में खून जमने लगा-अत्यधिक ठंड के कारण हिमालय की बर्फीली चोटियों पर देश की रक्षा के लिए लड़ने वाले सैनिकों की नब्ज़ जमती गई परंतु वे लड़ते रहे।
- जान देने की रुत-बलिदान देने का उचित अवसर-जब शत्रु देश पर आक्रमण करता है तब सैनिकों के लिए जान देने की रुत आती है।
- हाथ उठने लगे-आक्रमण होना-जब भी दुश्मन ने हमारे देश की ओर हाथ उठाया है तो हमारे वीरों ने उसका डटकर मुकाबला किया है।
प्रश्न 2.
ध्यान दीजिए संबोधन में बहुवचन ‘शब्द रूप’ पर अनुस्वार का प्रयोग नहीं होता; जैसे भाइयो, बहिनो, देवियो, सज्जनो आदि।
उत्तर
छात्र इन उदाहरणों के माध्यम से समझें-
भाइयो- सफ़ाई कर्मचारियों के नेता ने कहा, भाइयो! कहीं भी गंदगी न रहने पाए।
बहिनो- समाज सेविका ने कहा, बहिनो! कल पोलियो ड्राप पिलवाने ज़रूर आना।
देवियो- पुजारी ने कहा, देवियो! देवियो! कलश पूजन में जरूर शामिल होना।
सज्जनो- सज्जनो! यहाँ सफ़ाई बनाए रखने की कृपा करें।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1. कैफ़ी आज़मी उर्दू भाषा के एक प्रसिद्ध कवि और शायर थे। ये पहले गज़ल लिखते थे। बाद में फ़िल्मों में गीतकार और कहानीकार के रूप में लिखने लगे। निर्माता चेतन आनंद की फ़िल्म ‘हकीकत’ के लिए इन्होंने यह गीत लिखा था, जिसे बहुत प्रसिद्धि मिली। यदि संभव हो सके तो यह फ़िल्म देखिए।
उत्तर- छात्र अपने माता-पिता की मदद से यह फ़िल्म देखें।
प्रश्न 2. ‘फ़िल्म का समाज पर प्रभाव’ विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर- फ़िल्म को समाज पर प्रभाव- फ़िल्में हमारे समाज का प्रतिबिंब होती हैं। तत्कालीन समाज में जो कुछ घटित होता है। उसका जीता-जागता चित्र फ़िल्मों में दिखाया जाती है। इनका निर्माण समाज के द्वारा समाज में उच्च मानवीय मूल्यों की स्थापना एवं सामाजिक विकास के लिए किया जाता है। फ़िल्मों से एक ओर जहाँ समाज का मनोरंजन होता है वहीं फ़िल्में समाज को संदेश देते हुए कुछ करने के लिए दिशा दिखा जाती हैं। ‘हकीकत’ कुछ ऐसी ही फ़िल्म थी जिसे देखकर अपनी मातृभूमि के लिए कुछ कर गुजरने का जोश पैदा हो जाता है।
फ़िल्में सामाजिक बदलाव लाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सामाजिक कुरीतियाँ-दहेज प्रथा, नशाखोरी, जातिवाद आदि पर अंकुश लगाने में फ़िल्मों की भूमिका सराहनीय होती है। युवा पीढ़ी को संस्कारित करने तथा उनमें मानवीय मूल्य प्रगाढ़ करने में फ़िल्मों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। समाज के सामने अच्छी फ़िल्में आएँ, यह निर्माताओं का दायित्व है।
प्रश्न 3. कैफ़ी आज़मी की अन्य रचनाओं को पुस्तकालय से प्राप्त कर पढ़िए और कक्षा में सुनाइए। इसके साथ ही उर्दू भाषा के अन्य कवियों की रचनाओं को भी पढ़िए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 4. एन० सी० ई० आर० टी० द्वारा कैफ़ी आज़मी पर बनाई गई फ़िल्म देखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1. सैनिक जीवन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए एक निबंध लिखिए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2. आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है ‘आज़ादी बनाए रखना’। इस विषय पर कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर- यह पूर्णतया सत्य है कि आजाद होना कठिन काम है। आज़ादी पाने के लिए लंबे समय तक संघर्ष करना पड़ता है, त्याग करना पड़ता है और हज़ारों को कुरबान होना पड़ता है। इतनी कठिनाई से प्राप्त आज़ादी को बनाए रखना भी आसान काम नहीं है। आजादी प्राप्ति के समय जो विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय, भाषा क्षेत्र आदि के लोग अपनी इस संकीर्णता को छोडकर एकजुट होकर आजादी के लिए तन-मन-धन अर्थात् सर्वस्व न्योछावर करने को तैयार थे और जिनके अथक प्रयासों से आज़ादी मिली वही बाद में जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र, भाषा आदि के नाम पर अलगाववाद का समर्थन करते नजर आते हैं, जिससे हमारी एकता पर अनेकता में बदलने का खतरा उत्पन्न हो जाता है। ऐसी स्थिति का अनुचित लाभ उठाने के लिए कुछ शत्रु देश सक्रिय हो जाते हैं।
वे तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर हमें गुलाम बनाने की कुचेष्टा करते हैं। वे हमारी फूट का लाभ उठाते हैं। वे धन, छल-बल, कूटनीति का सहारा लेकर एकता को कमजोर करने का प्रयास करते हैं। इसमें तनिक भी सफलता मिलते ही वे दंगे भड़काने का प्रयास करते हैं, भेदभाव को उकसाते हैं ताकि हम आपस में ही लड़-मरें। उन्हें तो इसी अवसर की प्रतीक्षा होती है। हमें भूलकर भी ऐसी स्थिति नहीं आने देनी चाहिए। यद्यपि कुछ लोग दिग्भ्रमित होकर गलत कदम उठा लेते हैं, परंतु हमें ऐसे लोगों को भी सही राह पर लाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए और अपनी आज़ादी को हर संभावित संकट से बचाना चाहिए। अतः पूर्णतया सत्य है कि आज़ाद होने के बाद सबसे मुश्किल काम है ‘आजादी बनाए रखना।
प्रश्न 3. अपने स्कूल के किसी समारोह पर यह गीत या अन्य कोई देशभक्तिपूर्ण गीत गाकर सुनाइए।
उत्तर- छात्र स्वयं करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘कर चले हम फ़िदा जानो तन’ के माध्यम से सैनिक क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- ‘कर चले हम फ़िदा जानो तन’ के माध्यम से सैनिक देशवासियों और युद्ध कर रहे अपने साथियों से यह कहना चाहते हैं कि उन्होंने साहस और वीरता से अपने देश की रक्षा की है। अपने तन में प्राण रहते हुए उन्होंने देश की मर्यादा और प्रतिष्ठा पर आँच नहीं आने दिया। उन्होंने अपने सीने पर गोलियाँ खाकर देश के लिए अपने प्राणों को उत्सर्ग कर दिया है। अब देश की रक्षा के लिए तुम भी अपने प्राणों की बाजी लगा देना।
प्रश्न 2. सैनिकों के लड़ने के लिए परिस्थितियाँ अनुकूल नहीं थीं। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- भारत और चीन के बीच हुए इस युद्ध का रणक्षेत्र बना था–हिमालय की घाटियाँ जहाँ तापमान इतना कम होता है कि वहाँ खड़ा रहना भी कठिन होता है। हडियाँ कँपा देने वाली ऐसी ही सरदी में भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों का मुंहतोड़ जवाब दे रहे थे, परंतु सरदी के कारण उनकी साँसें रुकती हुई प्रतीत हो रही थीं और उनकी नसों का खून जमने की स्थिति तक पहुँच गया था।
प्रश्न 3. सैनिकों ने हिमालय का सिर न झुकने देने के लिए क्या किया?
उत्तर- भारतीय सैनिकों में देश प्रेम और राष्ट्रभक्ति की भावना चरम पर थी। उन्हें अपना देश और मातृभूमि प्राणों से भी प्रिय थी। इसके रक्षा के लिए उन्होंने विपरीत परिस्थितियों की परवाह नहीं की। वे निरंतर आगे ही आगे बढ़ते जा रहे थे। हालात ऐसे थे कि उनकी साँसें रुक रही थीं और साँस लेना कठिन हो रहा था तथा रक्त जमता जा रहा था, फिर भी इसकी परवाह किए बिना लड़ते हुए अपना बलिदान दे दिया।
प्रश्न 4. ‘भरते-मरते रहो बाँकपन साथियो के माध्यम से सैनिक देशवासियों को क्या संदेश देना चाहते थे?
उत्तर- ‘मरते-मरते रहा बाँकपन साथियो’ के माध्यम से सैनिक देशवासियों से यह कहना चाहते हैं कि वे शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए पूरे जोश और साहस से युद्ध किए। उन्होंने अपने मनोबल को गिरने नहीं दिया और सच्चे सैनिक की तरह मातृभूमि के लिए अपना बलिदान दे दिया। वे देशवासियों को यह संदेश देना चाहते हैं कि देशवासी भी इसी तरह साहस से देश की रक्षा करते हुए वीरता की नई गाथा लिखें।
प्रश्न 5. भारतीय सैनिकों को युद्ध में किन-किन मुसीबतों का सामना करना पड़ा?
उत्तर- भारतीय सैनिकों को चीनी सैनिकों के साथ हुए युद्ध में कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा; जैसे
* हिमालय की घाटियों जैसे दुर्गम स्थानों पर युद्ध करना पड़ा।
* हाड़ गला देने वाली सरदी में सैनिकों का खून जम रहा था।
* उनके सिर पर शत्रु मौत बनकर मॅडरा रहे थे।
* बर्फ के कारण उन्हें साँस लेने में कठिनाई हो रही थी।
प्रश्न 6. अपना बलिदान देकर भी सैनिकों को दुख की अनुभूति क्यों नहीं हो रही है?
उत्तर- एक सच्चा सैनिक देश के लिए ही जीता और मरता है। वह अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की बाजी लगाना अपना धर्म समझता है। वह अपना सब कुछ अर्पित कर देश के काम आना चाहते हैं। ऐसा करके वे अपने सैन्यधर्म का पालन करके गर्वानुभूति करते हैं। चीन के साथ युद्ध में शहीद भारतीय सैनिक अपना बलिदान देकर भी गर्वानुभूति कर रहे हैं, फिर उन्हें दुख की अनुभूति कैसे होने पाती। उन्हें गर्व है कि उन्होंने हिमालय का सर झुकने नहीं दिया।
प्रश्न 7. ‘आज धरती बनी है दुलहन साथियो’ ऐसा सैनिकों को क्यों लग रहा है?
उत्तर- दुलहन अर्थात् नववधू की सुंदरता अद्वितीय होती है। लाल रंग के परिधान उसकी सुंदरता को विगुणित कर देते हैं। हिमालय की घाटियों की जमीन सैनिकों के रक्त से लाल हो रही है। वहाँ युद्ध कर रहे सैनिकों को लगता है कि भारत भूमि ने लाल परिधान धारण कर लिया है। इस परिधान में वह लाल जोड़े में सजी दुलहन-सी नज़र आ रही है।
प्रश्न 8. सैनिक अपनी जवानी को कब सार्थक मानता है?
उत्तर- एक सच्चा सैनिक अपनी मातृभूमि से अगाध लगाव रखता हुआ देश के लिए जीता और मरता है। वह शत्रुओं से हर समय मुकाबले को तैयार रहता है। वह, अपने प्राणों की परवाह किए बिना हर संकट को झेलने के लिए तैयार रहता है। एक सच्चा सैनिक अपनी जवानी को तभी सार्थक मानता है जब वह शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपने प्राणों की बलि दे दे और उसके खून की एक-एक बूंद देश के काम आ जाए।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता युवाओं में राष्ट्र प्रेम और देशभक्ति की भावना प्रगाढ़ करती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में भारतीय सैनिकों के साहस एवं वीरता की गाथा है। इन सैनिकों ने अत्यंत विपरीत परिस्थितियों में चीनी सैनिकों का मुंहतोड़ जवाब दिया और उन्हें रोकते हुए आगे ही आगे कदम बढ़ाते-बढ़ाते गए। देश की रक्षा करते हुए उन्होंने अपनी जान की परवाह नहीं की और कुरबान हो गए। यह कविता पढ़कर युवामन जोश से भर उठता है तथा देश एवं मातृभूमि की शत्रुओं से रक्षा करने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर होने के लिए प्रेरित होता है। उसकी देशभक्ति हिलोरे लेने लगती है। वह साहस एवं जोश से भर उठता है। इस प्रकार यह कविता राष्ट्रप्रेम और देशभक्ति की भावना प्रगाढ़ करती है।
प्रश्न 2. ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध का मर्मस्पर्शी वर्णन है। यह कविता एक ओर भारतीयों के साहस तथा वीरता का उत्कृष्ट नमूना प्रस्तुत करती है, साथ ही उनके त्याग एवं बलिदान की अनुपम गाथा भी दोहराती है। यह कविता अपने रचना काल में जितनी प्रासंगिक थी उससे कहीं अधिक आज प्रासंगिक है। आज देश में पड़ोसी देश से जब घुसपैठ का खतरा बढ़ा है, जयचंदों की संख्या बढ़ी है तथा लोग भाषा, जाति, क्षेत्र, धर्म आदि के नाम पर अपनी डफली अपना राग अलाप रहे हों, तब इस कविता की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। यह कविता वीरों का उत्साह बढ़ाने और युवाओं में राष्ट्रभक्ति प्रगाढ़ करने के लिए अधिक प्रासंगिक है।
प्रश्न 3. कविता में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण का प्रयोग किन संदर्भो में हुआ है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘कर चले हम फ़िदा’ कविता में राम, लक्ष्मण, सीता और रावण जैसे पौराणिक पात्रों का प्रयोग देशवासियों, भारतमाता और देश के शत्रुओं के संदर्भ में किया गया है। सीता अत्यंत, सुंदर, पवित्र गरिमामयी स्त्री थी। कुछ ऐसी ही स्थिति हमारी मातृभूमि भारत माता की है। यह हमारी भारतमाता तरह-तरह से समृद्ध और गौरवपूर्ण है। कुछ शत्रु रूपी रावण इसकी ओर कुदृष्टि रखते हैं और अपना बना लेना चाहते हैं। जिस तरह राम और लक्ष्मण ने रावण को मारकर सीता की रक्षा की थी, उसी प्रकार भारतीय सैनिकों और देशवासियों से अपेक्षा की गई है कि वे सीता रूपी भारतमाता की रक्षा के लिए रावण रूपी शत्रुओं से युद्ध करें तथा आवश्यकता पड़ने पर अपना बलिदान देकर साहस एवं वीरता की नई गाथा लिखें।