NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika – Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक
NCERT Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Solutions are provided here. We have covered all the intext questions of your textbook given in the lesson. We have also provided some additional questions which are important with respect to your exam. Read all of them to get good marks.
प्रश्न-अभ्यास (पाठ्यपुस्तक से)
प्रश्न 1. सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है?
उत्तर
सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह सदियों की परतंत्रता की छाप है। चाटुकारिता उनके तन-मन में विद्यमान है और जहाँ चाटुकारिता का भाव होता है वहाँ अपने सम्मान का कोई महत्त्व नहीं होता है। सरकारी तंत्र उस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए चिंतित है जिसने न जाने कितने ही कहर ढहाए। उसके अत्याचारों को याद न कर उसके सम्मान में जुट जाता है। इस तरह सरकारी तंत्र अपनी अयोग्यता, अदूरदर्शिता, मूर्खता और चाटुकारिता को दर्शाता है।
प्रश्न 2.रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?
उत्तर
रानी एलिजाबेथ भारत सहित अन्य देशों के दौरे पर भी जाएँगी, यह बात जानकर उनका दरजी भी परेशान हो उठा। लगा कि रानी एलिजाबेथ को भारत के साथ-साथ पाकिस्तान और नेपाल भी जाना है जहाँ की संस्कृति और पहनावा जैसी बातों में पर्याप्त भिन्नता है। वहाँ के पहनावे और संस्कृति के अनुरूप ही रानी की वेशभूषा भी होनी चाहिए तथा उस वेशभूषा से रानी की राजसी शान का प्रतिबिंब भी उभरना चाहिए। यही सब उसकी परेशानी का कारण था। उसकी परेशानी अपनी जगह पूर्णतया जायज ही थी, क्योंकि ऐसा न होने से रानी अन्य देशों में उपहास का पात्र बन सकती थी।
प्रश्न 3. ‘और देखते ही देखते नई दिल्ली की कायापलट होने लगी। नई दिल्ली के कायापलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?
उत्तर
रानी एलिजाबेथ के स्वागतार्थ नई दिल्ली की कायापलट के निम्नलिखित प्रयत्न किए गए होंगे-
- सरकारी भवनों की साफ-सफाई तथा रंग-रोगन कर उन्हें चमकाया गया होगा।
- स्थान-स्थान पर कूड़े-करकट के ढेर उठाने का प्रयास किया गया होगा।
- रानी की नज़र कहीं झोंपड़ी, झुग्गी-बस्तियों पर न पड़ जाए। यह सोच कर उनको स्थानांतरित किया गया होगा।
- सड़कों को साफ-सुथरा कर सजे हुए तोरण द्वार बनाए गए होंगे, जगह-जगह बैनर लगाए गए होंगे।
- कहीं-कहीं प्रमुख स्थानों पर देश के सम्मानित नेताओं का झुंड हाथ में पुष्पहार और बुके आदि लिए खड़े होंगे।
- सुरक्षा की दृष्टि से स्थान-स्थान पर पुलिस की व्यवस्था की गई होगी।
- सरकारी भवनों पर झंडे लगाए गए होंगे।
- ब्रिटेन और भारत की मित्रता के स्लोगन लिखे गए होंगे।
प्रश्न 4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है-
- इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?
- इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती
उत्तर
(क) आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतों के अतिशयोक्ति पूर्ण वर्णन को पेज श्री टाइप की पत्रकारिता कहा जा सकता है जिसे युवा तथा देश का विशेष वर्ग इन्हें चाव से पढ़ता है और प्रभावित होता है। चर्चित व्यक्तियों के पहनावे की चर्चा एक सीमा में रहकर करना चाहिए। ऐसा ही कुछ दिन पहले हुआ था जब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का नौ लाख की लागत से बना सूट चर्चा का विषय बन गया था। जिस देश के किसान आत्महत्या कर रहे हों, लोग दो वक्त की रोटी के लिए लालायित हों तब ऐसी प्रवृत्ति अर्थात् पत्रकारिता का विषय बनाकर वाह-वाही लूटने से बचना चाहिए।
(ख) इस प्रकार की पत्रकारिता से आम जनता और विशेषकर युवा पीढ़ी बहुत प्रभावित होती है। युवा पीढ़ी तो लक्ष्यभ्रमित होकर दिवास्वप्न देखने लगती है। वे पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देना कम करके फैशन और बनाव श्रृंगार पर अधिक ध्यान देने लगते हैं। इसके लिए वे अनुचित उपाय अपनाने से भी नहीं चूकते हैं।
प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?
उत्तर
जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के जो सराहनीय प्रयास किए वे सब निश्चित ही हैरान करने वाले थे, वे इस प्रकार हैं-
- मूर्तिकार ने फाइलें ढूँढ़वाईं, जिससे यह का पता चल सके कि इस प्रकार का पत्थर कहाँ पाया जाता है।
- फाइल के न मिलने पर मूर्तिकार उस तरह का पत्थर ढूँढ़ने के लिए हिंदुस्तान के हर पहाड़ पर गया।
- उसने अपने देश के सभी नेताओं की नाक नापी। उसके लिए वह देश के उन सब नेताओं की मूर्तियाँ ढूँढ़ते-ढूंढ़ते नाक नापते-नापते देश के हर प्रांत और कोने में गया।
- बिहार के सेक्रेटरिएट के सामने सन् बयालीस में शहीद हुए बच्चों की स्थापित मूर्तियों की नाक को नापा, परंतु सभी बड़ी निकलीं।
- अंत में देश के किसी जिंदा व्यक्ति की जिंदा नाक लगाने का प्रयास किया और यह प्रयास सफल रहा, अंत में जिंदा नाक लगा दी गई।
प्रश्न 6. प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं। उदाहरण के लिए- ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।’ सब हुक्कामों ने एक-दूसरे की तरफ ताका। पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।
उत्तर
‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में आए कुछ व्यंग्यात्मक कथन जो मौजूदा व्यवस्था पर चोट करते हैं-
- इन खबरों से हिंदुस्तान में सनसनी फैल रही थी।
- देखते ही देखते नई दिल्ली का कायापलट होने लगा।
- नई दिल्ली में सब था…सिर्फ नाक नहीं थी।
- गश्त लगती रही और लाट की नाक चली गई।
- यह बताने की जिम्मेदारी तुम्हारी है।
- जैसे भी हो, यह काम होना है और इसका दारोमदार आप पर है।
प्रश्न 7. नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभर कर आई है? लिखिए।
उत्तर
नाक सदा से ही मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा का प्रतीक रही है। प्रतिष्ठा के प्रतीक इसी नाक को इस व्यंग्य रचना का विषय बनाया गया है, साथ ही देश की सरकारी व्यवस्था, मंत्रियों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों की गुलाम मानसिकता पर कठोर प्रहार किया गया है। देश स्वतंत्र हुए आज लंबा समय बीत जाने पर भी अधिकारी एवं कर्मचारी उसी मानसिकता में जी रहे हैं। लाट की जिस टूटी नाक की किसी को भी चिंता नहीं थी, वह एलिजावेथ के भारत आगमन के कारण अचानक महत्त्वपूर्ण हो उठी और सरकारी तंत्र तथा अन्य कर्मचारी बदहवास हो उसे पुनः लगाने के लिए हर प्रकार का जोड़-तोड़ करने में जुट गए। उनमें मची आपाधापी देखने लायक थी। यह गुलामी की मानसिकता का ही असर था कि वे जॉर्ज पंचम की नाक को अब और देर तक टूटी हुई नहीं देख सकते थे, न इस दशा में एलिजावेथ को दिखाना चाहते थे। निश्चित रूप में यह गुलामी की मानसिकता का ही प्रतीक था।
प्रश्न 8. अखबारों ने जिंदा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?
उत्तर
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता-गांधी जी, टैगोर, तिलक, लाला लाजपत राय, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, बिस्मिल आदि नेताओं की नाक फिट न होने की बात कहकर यह दर्शाना चाहता है कि जॉर्ज पंचम और हमारे इन देश-भक्तों का कोई मुकबला नहीं है। इन देश भक्तों के कार्य और व्यवहार के सामने जॉर्ज पंचम सूर्य के सामने दीये जैसा महत्त्व रखते हैं। जॉर्ज पंचम तो हमारे देश के शहीद बच्चों जैसे आदरणीय नहीं हैं। ऐसे में हमारे देश के हुक्मरानों और सरकारी कार्यालय एक बुत की नाक के लिए पता नहीं क्यों इतने परेशान हैं।
प्रश्न 9. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।
उत्तर
जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक का संकेत है कि जिस जॉर्ज पंचम की नाक के लिए सरकारी तंत्र के सभी हुक्काम चिंतित थे उसकी नाक तो अपने देश, देश के लिए शहीद हुए बच्चों की नाक से भी छोटी थी। इस तरह जॉर्ज पंचम की स्थिति गोखले, तिलक, शिवाजी, गाँधी, पटेल, बोस की तुलना में नगण्य थी।
प्रश्न 10. “नई दिल्ली में सब था… सिर्फ नाक नहीं थी।” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या * कहना चाहता है?
उत्तर
‘नई दिल्ली में सब था…सिर्फ नाक नहीं थी’ के माध्यम से लेखक यह बताना चाहता है कि हमारे देश की राजधानी में सब कुछ पहले जैसा था। यह कि अपना संविधान एवं लोकतंत्र था। लोग अपनी इच्छानुसार बोलने और आचरण करने के लिए स्वतंत्र थे। वे अपने-अपने ढंग से एलिजाबेथ के स्वागत की तैयारियों में जुटे थे। भारतीय ‘अतिथि देवो भवः’ परंपरा निभाने को तैयार थे, पर अब भारतीयों के मन में जॉर्ज पंचम के लिए मन में सम्मान न था।
प्रश्न 11. जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?
उत्तर
जॉर्ज पंचम के लाट पर जिंदा नाक लगने से अखबार वाले लज्जित थे जिस जॉर्ज-पंचम की तुलना छोटे बच्चे से भी न की जा सके और जिसके अत्याचार का इतिहास भी शायद भूले नहीं थे, उस जॉर्ज पंचम की लाट पर अपने सम्मान की नाक कटवा कर जिंदा नाक फिट की गई। यह कृत्य चुल्लू भर पानी में डूबने जैसा था। यह दिन भारतीयों के आत्म-सम्मान पर चोट करने वाला था, इसलिए आज के दिन अखबार खाली थे।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
प्रश्न 1. एलिजाबेथ के भारत आगमन पर इंग्लैंड और भारत दोनों स्थानों पर हलचल मच गई। उनके इस दौरे का असर किन-किन पर हुआ?
उत्तर:- रानी एलिजाबेथ के आगमन से इंग्लैंड और भारत दोनों ही जगहों पर हलचल बढ़ गई। उनके इस दौरे से प्रभावित होने वालों में विभिन्न समाचारपत्र, पूरी दिल्ली, एलिजाबेथ का दरजी, विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी और मंत्रीगण विशेष रूप से प्रभावित हुए। अखबारों में रानी एलिजाबेथ, प्रिंस फिलिप, उनके नौकरों, बावर्चियों, अंगरक्षकों तथा कुत्तों की जीवनी तथा फ़ोटो छपे राजधानी दिल्ली में तहलका मचा हुआ था। सरकारी तंत्र दिल्ली की साफ़ तथा सुंदर तस्वीर प्रस्तुत करना चाहता था। वे सड़कों की साफ़-सफ़ाई, सरकारी इमारतों को साफ़ कर उनका रंग-रोगन कर चमकाने तथा राजमार्ग को चमकाने के लिए परेशान थे। इसके अलावा अन्य तैयारियों के लिए अफ़सरों तथा मंत्रियों की परेशानी तो देखते ही बनती थी क्योंकि जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक जोड़ने का प्रबंध उन्हें जो करना था।
प्रश्न 2. मूर्तिकार की उन परेशानियों का वर्णन कीजिए जिनके कारण उसे ऐसा हैरतअंगेज़ निर्णय लेना पड़ा। वह निर्णय के या था?
उत्तर- जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक ठीक करने के लिए पहले तो मूर्तिकार पहाड़ी प्रदेशों और पत्थर की खानों में उसी किस्म का पत्थर तलाशता रहा। ऐसा करने में असफल रहने पर उसने देश के विभिन्न भागों-मुंबई, गुजरात, बिहार, पंजाब, बंगाल, उड़ीसा आदि भागों के शहीद नेताओं की नाक लिया ताकि उनमें से कोई नाक काटकर लगा सके। यहाँ भी असफल रहने पर उसने बिहार सचिवालय के सामने शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाकों की नाप लिया पर यह भी असफल रहा तब उसने ऐसा हैरतअंगेज़ निर्णय लिया। मूर्तिकार द्वारा लिया गया वह हैरतअंगेज़ निर्णय यह था कि चालीस करोड़ में से कोई एक जिंदा नाक काट ली जाए और जॉर्ज पंचम की टूटी नाक पर लगा दी जाए।
प्रश्न 3. रानी एलिजाबेथ के भारत दौरे के समय अखबारों में उनके सूट के संबंध में क्या-क्या खबरें छप रही थीं?
उत्तर- रानी एलिजाबेथ के भारत दौरे के समय भारतीय अखबारों में जो खबरें छप रही थीं उनमें ऐसी खबरें अधिक प्रकाशित होती थीं, जिन्हें लंदन के अखबार एक दिन पूर्व ही छाप चुके होते थे। इन खबरों के बीच रानी एलिजाबेथ के सूट की चर्चा भी प्रमुखता के साथ रहती थी। अखबारों ने प्रकाशित किया कि रानी ने एक ऐसा हलके नीले रंग का सूट बनवाया है, जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मँगाया गया है जिस पर करीब चार सौ पौंड का खर्च आया है।
प्रश्न 4. जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ में भारतीय अधिकारियों, मंत्रियों और कार्यालयी कार्य प्रणाली पर कठोर व्यंग्य किया गया है। इसे स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ व्यंग्य प्रधान रचना है। इसमें जॉर्ज पंचम की टूटी नाक को प्रतिष्ठा बनाकर मंत्रियों एवं सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर करारा व्यंग्य किया गया है। एलिजाबेथ के भारत आगमन पर राजधानी में तहलका मचने, अफसरों और मंत्रियों के परेशान होने की स्थिति देखकर यही लगता है कि जैसे आज भी हम अंग्रेजों के गुलाम हों। देश के सम्मान से सरकारी कर्मचारियों का कुछ लेना-देना नहीं होता है। यदि उनकी स्वार्थपूर्ति हो रही हो तो वे देश के सम्मान को ठेस पहुँचाने में जरा-सा भी संकोच नहीं करते हैं। येन-केन प्रकारेण स्वार्थ सिधि ही उनका उद्देश्य बनकर रह गया है।
प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत क्यों आ गई? इस छानबीन का क्या परिणाम रहा?
उत्तर:- जॉर्ज पंचम की लाट की टूटी नाक लगाने के क्रम में पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की ज़रूरत इसलिए आ गई क्योंकि इन्हीं फाइलों में प्राचीन वस्तुओं, इमारतों, लाटों तथा महत्त्वपूर्ण वस्तुओं से संबंधित विस्तृत जानकारी सजोंकर रखी जाती है, जिससे समय आने पर इनसे देश के इतिहास संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सके। इन फाइलों की खोजबीन इसलिए की जा रही थी जिससे मूर्तिकार लाट के पत्थर का मूलस्थान, लाट कब बनी, कहाँ बनी, किसके द्वारा बनाई गई आदि संबंधी महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर उसकी टूटी नाक की मरम्मत कर सके।
प्रश्न 6. इस छानबीन का कोई सकारात्मक परिणाम न निकला, क्योंकि फाइलों में ऐसा कुछ न मिला। भारतीय हुक्मरान अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते नज़र आते हैं। जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ से ज्ञात होता है कि सरकारी कार्यालय के बाबू अपनी जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालते नज़र आते हैं। हर कोई इस जिम्मेदारी से बचना चाहता है। मूर्तिकार जब कहता है कि उसे यह मालूम होना चाहिए कि यह लाट कब और कहाँ बनी तथा उसके लिए पत्थर कहाँ से लाया गया, इसका जवाब देने के लिए भारतीय हुक्मरान एक-दूसरे की ओर देखने लगते हैं और अंत में निर्णय कर यह काम एक क्लर्क को सौंप देते हैं।
प्रश्न 7. जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ के आधार पर बताइए पाठ से भारतीय अधिकारियों की किस मानसिकता की झलक मिलती है?
उत्तर:- ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ नामक पाठ में सरकारी तंत्र के अफसरों की मानसिक परतंत्रता की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। ये अफसरगण मानसिक गुलामी में जीते हुए एलिजाबेथ को खुश करने के लिए बदहवास से दिखाई देते हैं। उन्हें राष्ट्र के शहीद, देशभक्त नेताओं तथा बच्चों के सम्मान का ध्यान नहीं रह जाता और वे लाट पर जिंदा नाक लगाने में तनिक भी आपत्ति नहीं दिखाते हैं। इस असर पर वे देश की मर्यादा और भारतीयों के स्वाभिमान को ताक पर रख देते हैं।
प्रश्न 8. इंग्लैंड के अखबारों में छपने वाली उन खबरों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण हिंदुस्तान में सनसनी फैल रही थी?
उत्तर- महारानी एलिजाबेथ के भारत आगमन के समय इंग्लैंड के अखबारों में तरह-तरह की खबरें छप रही थीं, जैसे- रानी ने एक ऐसा हलके नीले रंग का सूट बनवाया है जिसका रेशमी कपड़ा हिंदुस्तान से मँगवाया गया है और उस पर करीब चार सौ पौंड खरचा आया है। रानी एलिजाबेथ की जन्मपत्री, प्रिंस फिलिप के कारनामे, उनके नौकरों बावर्चियों और खानसामों तथा अंगरक्षकों की पूरी जीवनियों के साथ शाही महल में रहने वाले कुत्तों तक की खबरें छप रही थीं। ऐसी खबरों के कारण हिंदुस्तान में सनसनी फैल रही थी।
प्रश्न 9. जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए क्या-क्या इंतजाम किए गए थे?
उत्तर:- जॉर्ज पंचम की नाक की सुरक्षा के लिए हथियार बंद पहरेदार तैनात कर दिए गए थे। किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई उनकी नाक तक पहुँच जाए। भारत में जगह-जगह ऐसी नाकें खड़ी थीं। जिन नाकों तक लोगों के हाथ पहुँच गए उन्हें शानो-शौकत के साथ उतारकर अजायबघरों में पहुँचा दिया गया था। जॉर्ज पंचम की नाक की रक्षा के लिए गश्त भी लगाई जा रही थी ताकि नाक बची रहे।
प्रश्न 10. रानी के भारत आगमन से पहले ही सरकारी तंत्र के हाथ-पैर क्यों फूले जा रहे थे?
उत्तर- रानी एलिजाबेथ के भारत आने से पूर्व ही सुरक्षा के कई उपाय करने पर भी जॉर्ज पंचम की नाक गायब हो गई थी। रानी आएँ और नाक न हो। यह सरकारी तंत्र के लिए परेशानी खड़ी कर देने वाली बात थी। अब रानी के भारत आने तक जॉर्ज पंचम की नाक को कैसे ठीक किया जाय कि रानी को जॉर्ज पंचम की लाट सही सलामत हालत में मिले, इसी चिंता में सरकारी तंत्र के हाथ-पैर फूले जा रहे थे।
प्रश्न 11. मूर्तिकार ने भारतीय हुक्मरानों को किस हालत में देखा? उनकी परेशानी दूर करने के लिए उसने क्या कहा?
उत्तर- जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक अवश्य होनी चाहिए, यह तय होते ही एक मूर्तिकार को दिल्ली बुलाया गया। मूर्तिकार ने हुक्मरानों के चेहरे पर अजीब परेशानी देखी, उदास और कुछ बदहवास हालत में थे। यह देख खुद मूर्तिकार दुखी हो गया। उनकी परेशानी दूर करने के लिए मूर्तिकार ने कहा, “नाक लग जाएगी पर मुझे यह मालूम होना चाहिए कि यह लाट कब और कहाँ बनी थी? तथा इसके लिए पत्थर कहाँ से लाया गया था।”
मूल्यपरक प्रश्न
प्रश्न 1. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार ने अनेक प्रयास किए। उन प्रयासों का उल्लेख करते हुए बताइए कि आप इनमें से किसे सही मानते हैं और किसे गलत। इससे उसमें किन मूल्यों का अभाव दिखता है?
उत्तर- जॉर्ज पंचम की लाट की नाक लगाने के लिए मूर्तिकार सबसे पहले उसी किस्म का पत्थर खोजने के लिए हिंदुस्तान के पहाडी प्रदेशों और पत्थरों की खानों के दौरे पर गया और चप्पा-चप्पा छानने पर भी उसके हाथ कुछ न लगा। उसके इस प्रयास को मैं सही मानता हूँ क्योंकि उसके द्वारा उठाया गया यह सार्थक कदम था। मूर्तिकार जब देश के नेताओं की मूर्तियों की नाप लेने निकला और जब मुंबई, गुजरात, पंजाब, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश आदि के नेताओं की मूर्तियों की नाप के अलावा वर्ष 1942 में शहीद बच्चों तक की नाकों की नाप लिया और अंततः सफल न होने पर एक जिंदा नाक लगा दी तो उसका यह कृत्य अत्यंत गलत लगा क्योंकि एक बुत के लिए जिंदा नाक कितनी विचित्र और लज्जाजनक बात थी। मूर्तिकार के कृत्य से उसमें दूरदर्शिता, शहीदों के प्रति सम्मान और देश के मान-सम्मान की रक्षा करने जैसे मूल्यों का अभाव नज़र आता है।
प्रश्न 2. जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में देश के विभिन्न भागों के प्रसिद्ध नेताओं, देशभक्तों और स्वाधीनता सेनानियों को उल्लेख हुआ है। इनके जीवन-चरित्र से आप किन मूल्यों को अपनाना चाहेंगे?
उत्तर- ‘जॉर्ज पंचम की नाक’ पाठ में गांधी जी, रवींद्र नाथ टैगोर, लाला लाजपत राय से लेकर रामप्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे देशभक्तों का उल्लेख हुआ है। इन शहीदों एवं देशभक्तों ने देश के लिए अपना तन, मन, धन और सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए नाना प्रकार के कष्ट सहे। इन नेताओं देशभक्तों और स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन एवं चरित्र से मैं देश प्रेम एवं देशभक्ति, देश के स्वाभिमान पर मर-मिटने की भावना, देशभक्तों का सम्मान, राष्ट्र के गौरव को सर्वोपरि समझने जैसे मूल्यों को अपनाना चाहूँगा तथा समय पर उचित निर्णय लेते हुए ऐसा कार्य करूंगा जिससे देश का गौरव बढ़े।