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Home Class 10th Solutions

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 माता का आँचल

by Sudhir
December 28, 2021
in Class 10th Solutions, 10th Hindi
Reading Time: 4 mins read
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NCERT Class 10th Hindi Solutions
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  • NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika – Chapter 1 माता का आँचल
    • NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 – पाठ के प्रश्नोत्तर
    • NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 – अन्य पाठेतर हल प्रश्न
    • NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 – मूल्यपरक प्रश्न

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika – Chapter 1 माता का आँचल

NCERT Class 10 Hindi Kritika Chapter 1 Solutions are provided here. We have covered all the intext questions of your textbook given in the lesson. We have also provided some additional questions which are important with respect to your exam. Read all of them to get good marks.

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 – पाठ के प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था, फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है ?

उत्तर
बच्चे के पिता उसके प्रत्येक खेल में शामिल होने का प्रयास करते थे। उसे किसी-न-किसी प्रकार अधिकांश समय अपने साथ रखते थे अतः शिशु का पिता के प्रति अधिक लगाव स्वाभाविक था। किंतु माँ का स्नेह हृदयस्पर्शी होता है। निश्छल हृदय शिशु को हृदयस्पर्शी स्नेह की पहचान होती है। यही कारण है विपदा के समय शिशु पिता के पास न जाकर माँ के पास जाता है। माँ की गोद में सुरक्षा की गारंटी के साथ वात्सल्य स्नेह की पूर्ण अनुभूति करता है।

प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
उत्तर
बच्चों की यह स्वाभाविक विशेषता होती है कि वे अत्यंत भोले-भाले, निश्छल तथा सरल होते हैं। अपनी मनपसंद की चीजें मिलते ही, अपने साथियों का साथ पाते ही अपने दुख-सुख तथा रोना-धोना भूल जाते हैं। उन्हें अपने समान उम्र वाले सांथियों का साथ अच्छा लगता है। वे उन्हीं के साथ तरह-तरह के खेल खेलते हैं। अपने मन की हर बात तथा हर भाव को उनके साथ बाँटते हैं। भोलानाथ को भी जब साथी बालकों की टोली दिखाई देती है तो उनका खेलना-कूदना देखकर, वह गुरु जी की डाँट-फटकार तथा अपना सिसकना भूल जाता है और उनके साथ खेलने में मग्न हो जाता है। बच्चों के साथ उसे लगता है कि अब डर, भय और किसी तरह की चिंता की आवश्यकता नहीं रही। यही कारण है कि भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है।

प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी-न-किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।
उत्तर
तुकबंदियाँ-

1. अटकन-बटकन दही चटाके।
बनफूले बंगाले ।

2. अर्रक-बकि दूध की धार ।
चोर भाग गया पल्ली पार।।

प्रश्न 4.भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर
भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री हमारे खेल और खेलने की सामग्री से पूरी तरह भिन्न है। भोलानाथ जिस ग्रामीण पृष्ठभूमि का और जिस काल का बालक है, उस समय गाँवों में बिजली नहीं पहुँची थी तथा आज जैसे खेल खिलौने उपलब्ध न थे। ऐसे में भोलानाथ और उसके साथी मिलकर घर के पास बने चबूतरे पर नाटक खेलते थे। कभी-कभी वे सब मिलकर मिठाइयों की दुकान लगाते, जिसमें मिट्टी के ढेले के लड्डू पत्तियों की पूरी-कचौरियाँ, गीली मिट्टी की जलेबियाँ, घड़े के टुकड़े के बताशे आदि बना लेते। वे धूल से मेंड़, दीवार, तिनकों का छप्पर, दीये की कड़ाही, पानी से घी, धूल का आटा, बालू की चीनी बनाकर भोज्य पदार्थ तैयार करते थे। इसके अलावा बारात का जुलूस निकालना, चिड़ियों को उड़ाना उनका प्रिय खेल था। आज हमारे खेल तथा खेल-सामग्री में बदलाव आ गया है। हमारे खेल के सामान मशीन-निर्मित हैं। भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने के सामान ग्रामीण पृष्ठभूमि से संबंधित हैं, हमारे खेलों में क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, लूडो, शतरंज, वीडियो गेम, कंप्यूटर पर गेम आदि शहरी पृष्ठभूमि वाले खेल शामिल हैं।

प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों?

उत्तर
पाठ में आए हर प्रसंग प्रायः हृदयस्पर्शी हैं। सभी प्रसंग बचपन की याद दिलाते हैं;

जैसे-

  1. माँ का अचानक भोलानाथ को पकड़कर तेल लगाना, उसका छटपटाना, फिर भी उसे कन्हैया बनाकर छोड़ना तथा बाबू जी के साथ आकर रोना-सिसकना भूलकर अपने साथियों के खेल में शामिल हो जाना।
  2. भोलानाथ और उसके साथियों का खेती करने का अभिनय करना, खेती की पैदावार (राशि) को तौलना, इसी बीच बाबू जी का आना और सारी राशि को छोड़कर बच्चों का हँसते हुए भाग जाना, बटोहियों को देखते रह जाने का प्रसंग दिल को छू जाता है।
  3. भोलानाथ और उसके साथियों का टीले पर चूहे का बिल देख पानी उलीचना, बिल से चूहे की जगह साँप निकलना, फिर तो बच्चों का डरना, इधर-उधर काँटों में भागना, भोलानाथ को माँ के आँचल में छिपना, सिसकना, माँ की चिंता, हल्दी लगाना, बाबू जी के लेने पर भी माँ की गोद न छोड़ना मर्मस्पर्शी दृश्य उपस्थिति करता है।

प्रश्न 6. इस उपन्यास-अंश में तीस के दशक की ग्राम्य-संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?

उत्तर
‘माता का अँचल’ उपन्यास में वर्णित तीस के दशक की संस्कृति और आज की ग्रामीण संस्कृति को देखकर लगता है कि समय के साथ दोनों समय की संस्कृतियों में अत्यधिक बदलाव आ गया है। बच्चों की दुनिया तो पूरी तरह से बदल गई है। अब जगह-जगह नर्सरी और प्री-प्राइमरी स्कूल खुल जाने से बच्चों को जबरदस्ती वहाँ भेजने का रिवाज चल पड़ा है। दोपहर बाद बच्चों को ट्यूशन भेजने में प्रतिष्ठा की झलक दिखने लगी है। बिजली पहुँच जाने से बच्चे अब टीवी पर कार्टून देखकर समय बिताने लगे हैं। ऐसे में मिलजुल खेलने का समय बचता ही नहीं है। खेती के काम अब मशीनों से होने लगे हैं। सिंचाई का काम ट्यूबेल से किया जाने लगा है। लोगों में राजनीतिक उन्माद बढ़ने से सहभागिता, सद्भाव और पारस्परिक प्रेम कम होने लगा है।

प्रश्न 7. पाठ पढ़ते-पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड़-प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को डायरी में अंकित कीजिए।

उत्तर
सोमवार 15 सितंबर, 2013

आदरणीय पिता या माता जी यद्यपि दोनों ही आज साथ नहीं हैं तथापि उनके साथ बिताए शैशव काल की कुछ घटनाएँ बरबस याद आ जाती हैं। बचपन में कुएँ की रहट पर खेलते हुए रहट के चक्कर में सिर फैंस करे फट गया था, मैं रो रहा था, सारा शरीर खून से लथपथ था। पिता जी ने अपनी धोती फाड़कर मेरा सिर बाँध कंधे पर बैठाकर घेर (फार्म हाऊस) से डॉक्टर के पास ले गए। मरहम-पट्टी कराकर दवी दिलवाई। मेरे ठीक होने तक मेरे साथ रहकर मेरी हर ज़रूरत का ध्यान रखते थे। एक-दूसरी घटना याद आ गई है हम माँ के साथ आम के पेड़ के नीचे खड़े थे। साथ में छोटा भाई और अन्य महिलाएँ भी थीं। वेग से वर्षा होने लगी, जोर से बिजली कड़की और माँ ने अपने पल्लू से यकायके ऐसे ढका मानो बिजली से वह पल्लू रक्षा कर लेगा। मैं माँ के स्नेह से हैरान रह गया।

प्रश्न 8. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर
माता-पिता को अपने बच्चे बहुत अच्छे लगते हैं। वे अपने बच्चों से बहुत प्यार करते हैं। भोलानाथ के माता-पिता दोनों ही भोलानाथ से असीम प्यार करते हैं, पर पाठ में माता की अपेक्षा पिता भोलानाथ को अधिक प्यार करते हैं। वे भोलानाथ के साथ प्यार से कुश्ती करते हुए हारने का अभिनय कर उसे खुश करना चाहते हैं। वे भोलानाथ को अपने पास बिठाकर पूजा करते हैं। वे उसके ललाट पर तीन आड़ी अथवा अर्धचंद्राकार रेखाएँ बनाकर तिलक करते तथा भभूत लगाते हैं। पूजा समाप्त होने पर वे उस बाग में ले जाकर पेड़ की डाल पर झुलाते हैं। इसी प्रकार माँ भोलानाथ को खिलाने के लिए अनेक उपाय करती। वह तरह-तरह की चिड़ियाँ का नाम लेकर भोलानाथ को खिलाती। वह दही-भात खिलाने के लिए अनेक बातें करती। वह चोटिल भोलानाथ के जख्ओं पर हल्दी लगाती है और भोलानाथ उसके अंचल में छिप जाता है।

प्रश्न 9. ‘माता का आँचल’ शीर्षक की उपयुक्तता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाएँ।

उत्तर
भोलानाथ का अधिकांश समय पिता के साथ में बीतता है। ऐसा लगता है कि पिता भोलानाथ का संबंध व्यक्ति और छाया का है। भोलानाथ का माँ के साथ संबंध दूध पीने तक का रह गया है। अंत में साँप से डरा हुआ बालक भोलानाथ पिता को हुक्का गुड़गुड़ाता देखकर भी माता की शरण में जाता है और अद्भुत रक्षा और शांति का अनुभव करता है। यहाँ भोलानाथ पिता को अनदेखा कर देता है जबकि अधिकांश समय पिता के सानिध्य में रहता है। इस आधार पर माता का आँचल’ सटीक शीर्षक है।


अन्य और भी उचित तथा उपयुक्त शीर्षक हो सकते हैं।

  1. माता-पिता का सानिध्य।
  2. बचपन के वे दिन।
  3. बचपन की मधुर स्मृतियाँ।

प्रश्न 10. बच्चे माता-पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

उत्तर
बच्चे का बचपन सामान्यतया उसके माता-पिता के साथ बीतता है। बच्चा अपने माता के व्यवहार से प्रभावित होता है। माता-पिता उसकी हर आवश्यकता का ध्यान रखते हैं। बच्चे भी अपने माता से प्रेम करते हैं और वे अनेक तरीकों से माता-पिता के प्रति अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करते हैं; जैसे-

  1. माँ-बाप के न चाहने पर भी वे उनकी गोद में बैठ जाते हैं।
  2. माँ-बाप से लिपटकर, उन्हें चूमकर।
  3. अपने नन्हें हाथों से माँ-बाप को खाना खिलाकर।
  4. माता-पिता की बात मानकर अपना प्यार प्रदर्शित करते हैं।

प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?

उत्तर
इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है उसकी पृष्ठभूमि पूर्णतया ग्रामीण जीवन पर आधारित है। पाठ में तीस या चालीस के दशक के आसपास का वर्णन है। ग्रामीण परिवेश में चारों ओर उगी फसलें; उनके दूधभरे दाने चुगती चिड़ियाँ, बच्चों द्वारा उन्हें पकड़ने का प्रयास करना, उन्हें उड़ाना, माता द्वारा बलपूर्वक बच्चे को तेल लगाना, चोटी बाँधना, कन्हैया बनाना, साथियों के साथ मस्तीपूर्वक खेलना, आम के बाग में वर्षा में भीगना, बिच्छुओं का निकलना, मूसन तिवारी को चिढ़ाना, चूहे के बिल में पानी डालने पर साँप का निकल आना सब कुछ हमारे बचपन से पूर्णतया भिन्न है। आज तीन वर्ष की उम्र होते ही बच्चों को नर्सरी या प्रीपेरेटरी कक्षाओं में भर्ती करा दिया जाता है। उनके खेलों के सभी सामान दुकान से खरीदे गए होते हैं। बच्चे क्रिकेट, वॉलीबॉल, कंप्यूटर गेम, वीडियो गेम, लूडो आदि खेलते हैं। जिस धूल में खेलकर ग्रामीण बच्चे बड़े होते हैं तथा मजबूत बनते हैं। उससे इन बच्चों का कोई मतलब नहीं होता है। आज माता-पिता के पास बच्चों के लिए भी समय नहीं है, ऐसे में बच्चे टी.वी., वीडियो देखकर अपनी शाम तथा समय बिताते हैं।

प्रश्न 12.फणीश्वरनाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाओं को पढ़िए।
उत्तर
छात्र पुस्तकालय से फणीश्वर नाथ रेणु और नागार्जुन की आँचलिक रचनाएँ लेकर स्वयं पढ़ें।

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 – अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1. ‘माता का अँचल’ पाठ में भोलानाथ के पिता की दिनचर्या का वर्णन करते हुए आज के एक सामान्य व्यक्ति की दिनचर्या से उसकी तुलना कीजिए।

उत्तर- ‘माता का अँचल’ पाठ में वर्णित भोलानाथ के पिता की दिनचर्या के बारे में यह पता चलता है कि वे सुबह जल्दी उठते और नहा-धोकर पूजा-पाठ पर बैठ जाते थे। वे अकसर बालक भोलानाथ (अपने पुत्र) को भी अपने साथ बिठा लिया करते थे। वे प्रतिदिन रामायण का पाठ करते थे। पूजा के समय वे भोलानाथ को भभूत से तिलक लगा देते थे। पूजा-पाठ के उपरांत वे रामनामी बही पर एक हज़ार बार राम-राम लिखते थे और अपनी पाठ करने की पोथी में रख लेते थे। इसके उपरांत वे पाँच सौ बार कागज के टुकड़े पर राम-राम लिखते और उन्हीं कागजों पर आटे की छोटी-छोटी गोलियाँ रखकर लपेटते। उन गोलियों को लेकर वे गंगा जी के तट पर जाते और अपने हाथों से मछलियों को खिला देते थे। इस समय भी भोलानाथ उनके साथ ही हुआ करता था। आज के आम आदमी की सुबह इस सुबह की दिनचर्या से इसलिए भिन्न है क्योंकि आज इस भौतिकवादी युग में धन-दौलत के पीछे लगी भागम-भाग के कारण आम आदमी के पास इतना समय ही नहीं है।

प्रश्न 2. चिड़िया उड़ाते-उड़ाते भोलानाथ और उसके साथियों ने चूहे के बिल में पानी डालना शुरू किया। इस घटना का के या परिणाम निकला?

उत्तर- खेल से चिड़ियों को उड़ाने के बाद भोलानाथ और उसके साथी को चूहों के बिल में पानी डालने का ध्यान आया। सभी ने एक टीले पर जाकर चूहों के बिल में पानी उलीचनी शुरू किया। पानी नीचे से ऊपर फेंकना था। यह कार्य करते हुए सभी थक गए थे। तभी उनकी आशा के विपरीत चूहे के स्थान पर साँप निकल आया, साँप से भयभीत होकर सभी रोतेचिल्लाते बेतहाशा भागने लगे। कोई औधा गिरा, कोई सीधा। किसी का सिर फूटा, किसी का दाँत टूटा। सभी भागते ही जा रहे थे। भोलानाथ की देह लहू-लुहान हो गई। पैरों के तलवे में अनेक काँटे चुभ गए थे।

प्रश्न 3. ‘माता का अँचल’ पाठ में वर्णित समय में गाँवों की स्थिति और वर्तमान समय में गाँवों की स्थिति में आए परिवर्तन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- पहले गाँवों की स्थिति बहुत अच्छी न थी। वहाँ बिजली, पानी, परिवहन जैसी सुविधाएँ नाम मात्र की थी। लोगों की आजीविका का साधन कृषि थी। आज गाँवों में टेलीविज़न के प्रचार-प्रसार से लोगों में एकाकी प्रवृत्ति बढ़ी है। बच्चे परंपरागत खेलों से विमुख होकर वीडियोगेम, टेलीविज़न आदि के साथ अपना समय बिताना चाहते हैं। इस बढ़ती आधुनिकता ने ग्रामीण संस्कृति को पतन की ओर उन्मुख कर दिया है।

प्रश्न 4. पिता भले ही बच्चे से कितना लगाव रखे पर माँ अपने हाथ से बच्चे को खिलाए बिना संतुष्ट नहीं होती है- ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- भोलानाथ के पिता भोलानाथ को अपने साथ रखते, घुमाते-फिराते, गंगा जी ले जाते। वे भोलानाथ को अपने साथ चौके में बिठाकर खिलाते थे। उनके हाथ से भोजनकर जब भोलानाथ का पेट भर जाता तब उनकी माँ थोड़ा और खिलाने का हठ करती। वे बाबू जी से पेट भर न खिलाने की शिकायत करती और कहती-देखिए मैं खिलाती हूँ। माँ के हाथ से खाने पर बच्चों का पेट भरता है। यह कहकर वह थाली में दही-भात मिलाती थी और अलग-अलग तोता-मैना, हंस-कबूतर आदि पक्षियों के बनावटी नाम लेकर भोजन का कौर बनाती तथा उसे खिलाते हुए यह कहती कि खालो नहीं तो ये पक्षी उड़ जाएँगे। इस तरह भोजन जल्दी से भरपेट खा लिया करता था।


प्रश्न 5. बच्चे रोना-धोना, पीड़ा, आपसी झगड़े ज्यादा देर तक अपने साथ नहीं रख सकते हैं। माता के अँचल’ पाठ के आधार पर बच्चों की स्वाभाविक विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर- बच्चे मन के सच्चे होते हैं। वे आपसी झगड़े, रोना-धोना, कष्ट की अनुभूति आदि जितनी जल्दी करते हैं उतनी ही जल्दी भूल जाते हैं। वे आपस में फिर इस तरह घुल-मिल जाते हैं, जैसे कुछ हुआ ही न हो। ‘माता का अँचल’ पाठ में बच्चों के सरल तथा निश्छल स्वभाव का पता चलता है। वे लड़ाई-झगड़े की कटुता को अधिक देर तक अपने मन में नहीं रख सकते हैं। खेल-खेल में रो देना या हँस देना उनके लिए आम बात है। अपने मनोरंजन के लिए वे किसी को चिढ़ाने से। भी नहीं चूकते हैं। सुख-दुख से बेपरवाह हो वे अपनी ही दुनिया में मगन रहते हैं।

प्रश्न 6. मूसन तिवारी को बैजू ने चिढ़ाया था, पर उसकी सजा भोलानाथ को भुगतनी पड़ी, ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- एक दिन भोलानाथ और उसके साथी बाग से आ रहे थे कि उन्हें मूसन तिवारी (गुरु जी) दिखाई दिए। उन्हें कम दिखई पड़ता था। साथियों में से ढीठ बैजू ने उन्हें चिढ़ाते हुए कहा ‘बुढ़वा बेईमान माँगे करेला का चोखा ।’ गुरु जी को चिढ़ाकर सभी बच्चे घर की ओर भागने लगे। गुरु जी बच्चों को पकड़ने के लिए भागे पर बच्चे हाथ न आए। वे पाठशाला चले गए। पाठशाला से चार बच्चे भोलानाथ और बैजू को पकड़ने के लिए घर आ गए। शरारती बैजू तथा अन्य बच्चे भाग गए पर भोलानाथ को गुरु जी के शिष्य पकड़कर पाठशाला ले गए। जिन बच्चों ने गुरु जी को चिढ़ाया था, उनके साथ रहने के कारण उन्होंने भोलानाथ को दंडित किया।

प्रश्न 7.भोलानाथ और उसके साथी खेल ही खेल में दावत की योजना किस तरह बना लेते थे?

उत्तर- भोलानाथ और उसके साथी खेलते-खेलते भोजन बनाने की योजना बना लेते। फिर वे सब भोजन बनाने के उपक्रम में जुट जाते घड़े के मुँह का चूल्हा बनाया जाता। दीये (दीपक के पात्र) की कड़ाही और पूजा की आचमनी की कलछी बनाते। वे पानी को घी, धूल को आटा, बालू को चीनी बनाकर भोजन बनाते तथा सभी भोजन के लिए पंगत में बैठ जाते। उसी समय बाबू जी भी आकर पंगत के अंत में बैठ जाते। उनको देखते ही बच्चे हँसते-खिलखिलाते हुए भाग जाते।

प्रश्न 8.भोलानाथ और उसके साथी खेल-खेल में फ़सल कैसे उगाया करते थे?

उत्तर- खेलते-खेलते भोलानाथ और उसके साथी खेती करने और फ़सल उगाने की योजना बनाते चबूतरे के छोर पर घिरनी गाड़कर बाल्टी को कुआँ बना लेते पूँज की पतली रस्सी से चुक्कड़ बाँधकर कुएँ में लटका दिया जाता। दो लड़के बैलों की भाँति मोट खींचने लगते। चबूतरा, खेत, कंकड़, बीज बनता और वे खेती करते। फ़सल तैयार होने में देर न लगती। वे जल्दी से फ़सल काटकर पैरों से रौंदकर ओसाई कर लेते।


प्रश्न 9. भोलानाथ की माँ उसे किस तरह कन्हैया बना देती?

उत्तर भोलानाथ जब अपने साथियों के साथ गली में खेल रहा होता तभी भोलानाथ की माँ उसे अचानक ही पकड़ लेती और भोलानाथ के लाख ना-नुकर करने पर भी चुल्लूभर कड़वा तेल सिर पर डालकर सराबोर कर देती। उसकी नाभि और। लिलार पर काजल की बिंदी लगा देती। बालों में चोटी गूंथकर उसमें फूलदार लट्टू बाँधती और रंगीन कुरता-टोपी पहनाकर ‘कन्हैया’ बना देती थी।

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kritika Chapter 1 – मूल्यपरक प्रश्न

प्रश्न 1. आर्जकल बच्चे घरों में अकेले खेलते हैं, पर भोलानाथ और उसके साथी मिल-जुलकर खेलते थे। इनमें से आप भावी जीवन के लिए किसे उपयुक्त मानते हैं और क्यों?

उत्तर- यह सत्य है कि आजकल के बच्चे कंप्यूटर पर गेम, वीडियो गेम, टेलीविज़न पर कार्टून देखते हुए अकेले समय बिताते हैं, परंतु भोलानाथ का समय साथियों के साथ खेलते हुए बीतता था। खेत में चिड़ियाँ उड़ाना हो या चूहे के बिल में पानी डालना या खेती करना, बारात निकालना आदि खेल ऐसे थे जिनमें बच्चों का एक साथ खेलना आवश्यक था। मैं मिलजुलकर खेलने को भावी जीवन के लिए उपयुक्त मानता हूँ, क्योंकि-

• इससे सामूहिकता की भावना मजबूत बनती है।
• इस प्रकार के खेलों से सहयोग की भावना विकसित होती है।
• मिल-जुलकर खेलने से सभी बच्चे अपना-अपना योगदान देते हैं, जिससे सक्रिय सहभागिता की भावना का उदय होता है।
• मिल-जुलकर खेलने से बच्चों में हार-जीत को समान रूप से अपनाने की प्रेरणा मिलती है जिनका भावी जीवन में बड़ी उपयोगिता होती है।


प्रश्न 2. भोलानाथ के पिता भोलानाथ को पूजा-पाठ में शामिल करते, उसे गंगा तट पर ले जाते तथा लौटते हुए पेड़ की डाल पर झुलाते। उनका ऐसा करना किन-किन मूल्यों को उभारने में सहायक है?

उत्तर:- भोलानाथ के पिता उसको अपने साथ पूजा पर बैठाते। पूजा के बाद आटे की गोलियाँ लिए हुए गंगातट जाते। मछलियों को आटे की गोलियाँ खिलाते, वहाँ से लौटते हुए उसे पेड़ की झुकी डाल पर झुलाते। उनके इस कार्यव्यवहार से भोलानाथ में कई मानवीय मूल्यों का उदय एवं विकास होगा। ये मानवीय मूल्य हैं-

1. भोलानाथ द्वारा अपने पिता के साथ पूजा-पाठ में शामिल होने से उसमें धार्मिक भावना का उदय होगा।
2. प्रकृति से लगाव उत्पन्न होने के लिए प्रकृति का सान्निध्य आवश्यक है। भोलानाथ को अपने पिता के साथ प्रकृति के निकट आने का अवसर मिलता है। ऐसे में उसमें प्रकृति से लगाव की भावना उत्पन्न होगी।
3. मछलियों को निकट से देखने एवं उन्हें आटे की गोलियाँ खिलाने से भोलानाथ में जीव-जन्तुओं के प्रति लगाव एवं दया भाव उत्पन्न होगा।
4. नदियों के निकट जाने से भोलानाथ के मन में नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने की भावना का उदय एवं विकास होगा।
5. वृक्षों से निकटता होने तथा उनकी शाखाओं पर झूला झूलने से भोलानाथ में पेड़ों के संरक्षण की भावना विकसित होगी।


प्रश्न 3. वर्तमान समय में संतान द्वारा माँ-बाप के प्रति उपेक्षा का भाव दर्शाया जाने लगा है जिससे वृद्धों की समस्याएँ बढ़ी हैं तथा समाज में वृद्धाश्रमों की जरूरत बढ़ गई है। माता का अँचल’ पाठ उन मूल्यों को उभारने में कितना सहायक है जिससे इस समस्या पर नियंत्रण करने में मदद मिलती हो।

उत्तर- वर्तमान समय में भौतिकवाद का प्रभाव है। अधिकाधिकथन कमाने एवं सुख पाने की चाहत ने मनुष्य को मशीन बनाकर रख दिया है। ऐसे में संतान के पास बैठने, उसके साथ खेलने और घूमने-फिरने का माता-पिता के पास समय नहीं हैं। इस कारण एक ओर माता-पिता बूढ़े होने पर उपेक्षा का शिकार होते हैं तो दूसरी ओर वृद्धाश्रमों की संख्या बढ़ रही है। ‘माता का अंचल’ पाठ में भोलानाथ का अधिकांश समय अपने पिता के साथ बीतता था। वह अपने पिता के साथ पूजा में शामिल होता था तो पिता जी भी मनोविनोद के लिए उसके साथ खेलों में शामिल होते थे। इससे भोलानाथ में अपने माता-पिता से अत्यधिक लगाव, सहानुभूति, मिल-जुलकर साथ रहने की भावना, माता-पिता के प्रति दृष्टिकोण में व्यापकता, माता-पिता के प्रति उत्तरदायित्व, सामाजिक सरोकारों में प्रगाढ़ता, आएगी जिससे वृद्धों की उपेक्षा एवं वृद्धाश्रम की बढ़ती आवश्यकता पर रोक लगाने में सहायता मिलेगी।

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