तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 MCQs
Here you get Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 MCQ with answers, which will help you to understand the chapter and make you learn in a better way. All these MCQs are important for CBSE and State Board Exams.
Question 1.
कलाकार का क्या कर्त्तव्य होता है?
(a) वह दर्शकों का मनोरंजन करे
(b) वह दर्शकों की इच्छानुसार अभिनय करे
(c) वह अपनी इच्छाओं का पालन करे
(d) उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे
Answer
Answer: (a) वह दर्शकों का मनोरंजन करे
बाह्यदर्शकों का मनोरंजन करे।
Question 2.
शैलेन्द्र के गीत कैसे होते थे?
(a) दुरुह
(b) द्वि-अर्थी
(c) भाव-प्रवण
(d) प्रवाहमय
Answer
Answer: (c) भाव-प्रवण।
Question 3.
हमारी फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी क्या होती है?
(a) कहानी कमजोर होती है
(b) लोक-तत्त्व का अभाव होता है
(c) भावनाओं का शोषण करने वाली होती हैं
(d) धरातल से परे होती है
Answer
Answer: (d) धरातल से परे होती है।
Question 4.
भारतीय फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों को ग्लोरिफाई क्यों किया जाता है?
(a) ताकि दर्शकों का मनोरंजन किया जा सके
(b) ताकि दर्शकों की भावनाओं का शोषण कर सकें
(c) ताकि दर्शकों को सीख दी जा सके
(d) ताकि अधिक धन कमाया जा सके
Answer
Answer: (d) ताकि अधिक धन कमाया जा सके।
Question 5.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म दुःख को किस रूप में प्रस्तुत करती है ?
(a) असहज स्थिति में
(b) विकट स्थिति में
(c) सहज स्थिति में
(d) असामान्य तरीके से
Answer
Answer: (c) सहज स्थिति में।
Question 6.
‘सजनवा बैरी हो गए हमार…..’ गीत किसके द्वारा गाया गया?
(a) मौ. रफी
(b) किशोर कुमार
(c) मुकेश
(d) मन्ना डे
Answer
Answer: (c) मुकेश।
Question 7.
अभिनय की दृष्टि से तीसरी कसम कैसी फ़िल्म थी?
(a) साधारण फ़िल्म
(b) सबसे हसीन फ़िल्म
(c) मनोरंजक फ़िल्म
(d) कला प्रधान फ़िल्म
Answer
Answer: (b) सबसे हसीन फ़िल्म।
Question 8.
राजकपूर को कहाँ का सबसे बड़ा शो-मैन कहा जाता है?
(a) एशिया का
(b) विश्व का
(c) बॉलीवुड का
(d) हॉलीवुड का
Answer
Answer: (a) एशिया का।
Question 9.
‘तीसरी कसम’ की पटकथा किसने लिखी थी।
(a) शैलेन्द्र ने
(b) सलीम खान ने
(c) जावेद ने
(d) फणीश्वरनाथ रेणु ने
Answer
Answer: (d) फणीश्वरनाथ ‘रेणू’ ने।
Question 10.
किस फ़िल्म की सफलता ने राजकपूर में ‘आत्मविश्वास भर दिया था?
(a) संगम की
(b) तीसरी कसम की
(c) जागते रहो की
(d) मेरा नाम जोकर की
Answer
Answer: (c) जागते रहो की
जागते रहो।
Question 11.
‘मेरा नाम जोकर’ का निर्माण कब प्रारंभ हुआ?
(a) 1960 में
(b) 1970 में
(c) 1965 में
(d) 1975 में
Answer
Answer: (c) 1965 में।
Question 12.
‘तीसरी कसम’ फिल्म परदे पर कब आई?
(a) सन् 1965 में
(b) सन् 1966 में
(c) सन् 1967 में
(d) सन् 1970 में
Answer
Answer: (b) सन् 1966 में।
Question 13.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म किस की कहानी पर बनी थी?
(a) प्रेमचंद्र के
(b) शैलेंद्र के
(c) जयशंकर प्रसाद के
(d) फणीश्वरनाथ रेणु की
Answer
Answer: (d) फणीश्वरनाथ रेणु की
फणीश्वरनाथ रेणू।
Question 14.
‘तीसरी कसम’ को निम्न में से कौन-सा पुरस्कार मिला?
(a) फ़िल्म फेयर पुरस्कार
(b) दादा साहब फाल्के पुरस्कार
(c) सर्वश्रेष्ठ हिन्दी फ़िल्म पुरस्कार
(d) राष्ट्रपति स्वर्ण पदक
Answer
Answer: (d) राष्ट्रपति-स्वर्ण पदक।
Question 15.
‘तीसरी कसम’ में शैलेन्द्र ने किसकी भावनाओं को शब्द दिए ?
(a) अपनी भावनाओं को
(b) फणीश्वरनाथ रेणु की
(c) राजकपूर की
(d) हीरामन की
Answer
Answer: (c) राजकपूर की।
Question 16.
राजकपूर ने ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के लिए कितना पारिश्रमिक लिया?
(a) एक रुपया
(b) एक लाख रुपया
(c) दस लाख रुपया
(d) पचास लाख
Answer
Answer: (a) एक रुपया।
Question 17.
हीराबाई का किरदार (चरित्र) किस अभिनेत्री ने निभाया था?
(a) नूतन
(b) वहीदा रहमान
(c) जीनत अमान
(d) नर्गिस
Answer
Answer: (b) वहीदा रहमान।
Question 18.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में किसका संगीत था?
(a) लक्ष्मीकांत प्यारे लाल
(b) शंकर जयकिशन
(c) रहमान
(d) सरदार अली
Answer
Answer: (b) शंकर-जयकिशन।
Question 19.
‘प्यार हुआ इकरार हुआ….’ गीत किस फ़िल्म का
(a) तीसरी कसम
(b) श्री 420
(c) जागते रहो
(d) मेरा नाम जोकर
Answer
Answer: (b) श्री 4201
(1)
अभिनय के दृष्टिकोण से ‘तीसरी कसम’ राजकपूर की जिंदगी की सबसे हसीन फ़िल्म है। राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कला-मर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला कलाकार मानते हैं, ‘तीसरी कसम’ में मासूमियत के चर्मोत्कर्ष को छूते हैं। अभिनेता राजकपूर जितनी ताकत के साथ ‘तीसरी कसम’ में मौजूद हैं, उतना ‘जागते रहो’ में भी नहीं। ‘जागते रहो’ में राजकपूर के अभिनय को बहुत सराहा गया था, लेकिन ‘तीसरी कसम’ वह फ़िल्म है जिसमें राजकपूर अभिनय नहीं करता। वह हीरामन के साथ एकाकार हो गया है। खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ दिल की जुबान समझता है, दिमाग की नहीं। जिसके लिए मोहब्बत के सिवा किसी दूसरी चीज़ का कोई अर्थ नहीं। बहुत बड़ी बात यह है कि ‘तीसरी कसम’ राजकपूर के अभिनय-जीवन का वह मुकाम है, जब वह एशिया के सबसे बड़े शोमैन के रूप में स्थापित हो चुके थे। उनका अपना व्यक्तित्व एक किंवदंती बन चुका था। लेकिन ‘तीसरी कसम’ में वह महिमामय व्यक्तित्व पूरी तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है। वह कहीं हीरामन का अभिनय नहीं करता, अपितु खुद हीरामन में ढल गया है।
Question 1.
भिनय की दृष्टि से कौन-सी फ़िल्म राजकपूर की जिंदगी की सबसे हसीन फ़िल्म है?
(a) सत्यं शिवं सुदंरम्
(b) जागते रहो
(c) आग
(d) तीसरी कसम
Answer
Answer: (d) तीसरी कसम।
Question 2.
राजकपूर को फ़िल्म समीक्षक कैसा कलाकार मानते हैं?
(a) मँजा हुआ कलाकार
(b) आँखों से बात करने वाला
(c) सुपर स्टार
(d) भावुक कलाकार
Answer
Answer: (b) आँखों से बातें करने वाला।
Question 3.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर किस पात्र के साथ एकाकार हो गया?
(a) हीरामन के साथ
(b) राजू के साथ
(c) जोकर के साथ
(d) लालमन के साथ
Answer
Answer: (a) हीरामन के साथ।
Question 4.
खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान कैसी जुबान समझता
(a) डंडे की
(b) आँखों की
(c) दिल की
(d) प्रेम की
Answer
Answer: (c) दिल की ज़बान।
Question 5.
राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व किस की आत्मा में उतर गया था?
(a) दर्शकों की
(b) हीरामन की
(c) हीराबाई की
(d) शैलेंद्र की
Answer
Answer: (b) हीरामन की।
(2)
शैलेन्द्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं। राजकपूर ने अपने अनन्य सहयोगी की फ़िल्म में उतनी ही तन्मयता के साथ काम किया, किसी पारिश्रमिक की. अपेक्षा किए बगैर। शैलेन्द्र ने लिखा था कि वे राजकपूर के पास ‘तीसरी कसम’ की कहानी सुनाने पहुँचे तो कहानी सुनकर उन्होंने बड़े उत्साहपूर्वक काम करना स्वीकार कर लिया। पर तुरंत गंभीरतापूर्वक बोले-“मेरा पारिश्रमिक एडवांस देना होगा।” शैलेन्द्र को ऐसी उम्मीद नहीं थी कि राजकपूर ज़िंदगी-भर की दोस्ती का ये बदला देंगे। शैलेन्द्र का मुरझाया हुआ चेहरा देखकर राजकपूर ने मुस्कराते हुए कहा- “निकालो एक रुपया, मेरा पारिश्रमिक! पूरा एडवांस।” शैलेन्द्र राजकपूर की इस याराना मस्ती से परिचित तो थे, लेकिन एक निर्माता के रूप में बड़े व्यावसायिक सूझ-बूझ वाले भी चक्कर खा जाते हैं, फिर शैलेन्द्र तो फ़िल्म-निर्माता बनने के लिए सर्वथा अयोग्य थे। राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेन्द्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया। पर वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी। ‘तीसरी कसम’ कितनी ही महान फ़िल्म क्यों न रही हो, लेकिन यह एक दुखद सत्य है कि इस प्रदर्शित करने के लिए बमुश्किल वितरक मिले।
Question 1.
राजकपूर ने ‘तीसरी कसम’ फिल्म में किस प्रकार कार्य किया?
Answer
Answer:
संकेत:
- पूरी तन्मयता के साथ।
- बिना पारिश्रमिक की चाह के।
Question 2.
शैलेन्द्र जब ‘तीसरी कसम’ की कहानी राजकपूर को सुनाने गए तब क्या हुआ?
Answer
Answer:
संकेतः
- राजकपूर को कहानी पसंद आई।
- उन्होंने अपना पारिश्रमिक एडवांस माँगा।
Question 3.
शैलेन्द्र को राजकपूर से कैसी उम्मीद नहीं थी?
Answer
Answer:
संकेतः
- कि राजकपूर उनका दोस्त होने के बावजूद भी उनसे पारिश्रमिक एडवांस माँगेगा।
- राजकपूर ने शैलेन्द्र से पूरा पारिश्रमिक (1 रुपया) एडवांस माँगा।
Question 4.
राजकपूर ने शैलेन्द्र को क्या समझाया?
Answer
Answer:
संकेतः
- फ़िल्म बनाने में बहुत जोखिम है।
- फ़िल्म यदि न चले तो बहुत बड़ी आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
Question 5.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को वितरक क्यों नहीं मिल पाए।
Answer
Answer:
संकेतः
- क्योंकि इस फ़िल्म का प्रचार नहीं हुआ
- प्रचार के लिए पैसा चाहिए।
- इतना पैसा शैलेन्द्र के पास नहीं था कि वे प्रचार पर खर्च कर सके।
(3)
ऐसा नहीं है कि शैलेन्द्र बीस सालों तक फिल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नांवाकिफ़ थे, परंतु उनमें उलझकर वे अपनी आदमियत नहीं खो सके थे। ‘श्री 420’ का एक लोकप्रिय गीत है-‘प्यार हुआ, इकरार हुआ है, प्यार से फिर क्यूँ डरता है दिल’ इसके अंतरे की एक पंक्ति-‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति की। उनका ख्याल था कि दर्शक ‘चार दिशाएँ’ तो समझ सकते हैं-‘दस दिशाएँ’ नहीं। लेकिन शैलेंद्र परिवर्तन के लिए तैयार नहीं हुए। उनका दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्त्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे। और उनका यकीन गलत नहीं था। यही नहीं, वे बहुत अच्छे गीत भी जो उन्होंने लिखे’ बेहद लोकप्रिय हुए। शैलेन्द्र ने झूठे अभिजात्य को कभी नहीं अपनाया। उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं। ‘मेरा जूता है जापानी, ये पतलून इंगलिस्तानी, सर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी’-यह गीत शैलेन्द्र ही लिख सकते थे। शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए। यही विशेषता उनकी जिंदगी की थी और यही उन्होंने अपनी फ़िल्म के द्वारा भी साबित किया था।
Question 1.
शैलेन्द्र फिल्म इंडस्ट्री में किस प्रकार रहे?
Answer
Answer:
संकेतः
- वे फ़िल्म इंडस्ट्री के नियमों से अवगत थे।
- उनमें उलझकर उन्होंने अपनी आदमियत नहीं खोई।
Question 2.
शंकर जयकिशन को श्री 420 के गीत पर क्या आपत्ति थी?
Answer
Answer:
संकेतः
- उनका कहना था कि दर्शक चार दिशाएँ समझते हैं, दस नहीं।
Question 3.
शैलेन्द्र श्री 420 के गीत के बोल बदलने के लिए क्यों सहमत नहीं हुए ?
Answer
Answer:
संकेतः
- उनका मानना था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उन पर उथलेपन को नहीं थोपना चाहिए।
- कलाकार का कर्तव्य है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
Question 4.
शैलेन्द्र और उनके गीतों की क्या विशेषता थी?
Answer
Answer:
संकेतः
- शैलेन्द्र ने कभी झूठे अभिजात्य को नहीं अपनाया।
- शैलेन्द्र के गीत भावनाओं से भरे हुए थे।
- उनके गीत दुरूह नहीं होते थे।
Question 5.
शैलेन्द्र की जिंदगी की क्या विशेषता थी?
Answer
Answer:
संकेतः
- उनकी जिंदगी शांत नदी का प्रवाह और समुद्र की गहराई लिए हुए थी।
(4)
हमारी फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमज़ोरी होती है, लोक-तत्त्व का अभाव। वे जिंदगी से दूर होती हैं। यदि त्रासद स्थितियों का चित्रांकन होता है तो उन्हें ग्लोरीफाई किया जाता है। दुख का ऐसा वीभत्स रूप प्रस्तुत होता है जो दर्शकों का भावनात्मक शोषण कर सके। और ‘तीसरी कसम’ की यह खास बात थी कि वह दुख को भी सहज स्थिति में, जीवन-सापेक्ष प्रस्तुत करती है।
मैंने शैलेन्द्र को गीतकार नहीं, कवि कहा है। वे सिनेमा की चकाचौंध के बीच रहते हुए यश और धन-लिप्सा से कोसों दूर थे। जो बात उनकी जिंदगी में थी, वहीं उनके गीतों में भी। उनके गीतों में सिर्फ करुणा नहीं, जूझने का संकेत भी था और वह प्रक्रिया भी मौजूद थी; जिसके तहत अपनी मंजिल तक पहुँचा जाता है। व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
Question 1.
पाठ का नाम व लेखक का नाम लिखिए।
Answer
Answer:
संकेतः
- पाठ : ‘तीसरी कसम’ के शिल्पकार शैलेन्द्र।
- लेखकः प्रह्लाद अग्रवाल।
Question 2.
हमारी फ़िल्मों की कमजोरी लोक-तत्त्व का अभाव है, क्यों?
Answer
Answer:
संकेत:
- लोक-तत्त्व के अभाव में फ़िल्म की कहानी आम जिंदगी से दूर होती है।
- दर्शक उन फ़िल्मों से अपने को जोड़कर नहीं देखते।
- त्रासद स्थितियों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जाता है।
- फिल्म वास्तविकता से दूर होती है।
Question 3.
‘तीसरी कसम’ फिल्म की क्या विशेषताएँ हैं?
Answer
Answer:
संकेतः
- इस फिल्म में जीवन के दुःखों का सहज रूप में दिखाया गया है।
- फिल्म की स्वाभाविकता को नष्ट नहीं होने दिया गया।
- यथार्थ चित्रण इस फ़िल्म की बड़ी विशेषता है।
Question 4.
‘तीसरी कसम’ में मनुष्य के लिए क्या संदेश है?
Answer
Answer:
संकेतः
- यह फिल्म आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
- फ़िल्म में व्यथा आदमी को पराश्रित नहीं करती वरन् जूझने का संकेत देती है।
Question 5.
लेखक ने शैलेन्द्र को गीतकार न कहकर कवि क्यों कहा है?
Answer
Answer:
संकेत:
- जैसी फ़िल्म तीसरी कमस है। ऐसी फ़िल्म कोई कवि-हृदय ही बना सकता है।
- शैलेन्द्र के गीतों पर एक गीतकार से अधिक उनके कवि होने की छाप होती थी।
विषय बोध पर आधारित प्रश्न
Question 1.
अभिनय की दृष्टि से ‘तीसरी कसम’ राजकपूर की कैसी फ़िल्म है?
Answer
Answer:
संकेतः
- सबसे हसीन फ़िल्म है।
- ‘तीसरी कसम’ में वो मासूमियत के चरमोत्कर्ष को छूते हैं।
- राजकपूर ‘तीसरी कसम’ में पूरी ताकत के साथ मौजूद है।
Question 2.
भारतीय फ़िल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी क्या है? ‘तीसरी कसम’ उनसे किस प्रकार अलग है?
Answer
Answer:
संकेतः
- सबसे बड़ी कमजोरी लोक-तत्त्व का अभाव है।
- जिंदगी से दूर होती है।
- त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरिफाई किया जाता है।
- दुख का ऐसा वीभत्स रूप प्रस्तुत किया जाता है जो दर्शकों की भावनाओं का शोषण कर सके।
Question 3.
‘तीसरी कसम’ को प्रदर्शित करने के लिए वितरक मुश्किल से क्यों मिले ?
Answer
Answer:
संकेतः
- यह फ़िल्म साहित्यिक कृति पर बनी थी।
- लोग बाजारू चीज़ को पसंद करते हैं।
- यह फ़िल्म दो के चार बनाने वालों की समझ से परे थी।
- उसमें रची-बसी करुणा तराजू पर तौली जाने वाली चीज़ नहीं थी।
Question 4.
फ़िल्म वितरक कैसी फ़िल्मों को हाथ में लेते हैं?
Answer
Answer:
संकेतः
- वे उन्हीं को हाथ में लेते हैं जहाँ उन्हें लाभ नज़र आए।
- वे मसालेदार फ़िल्मों को ज्यादा पसंद करते हैं। आम जनता की पसंद उनकी पसंद होती है।
Question 5.
शैलेन्द्र ‘तीसरी कसम उर्फ मारे गए गुल्फाम’ कहानी पर फ़िल्म क्यों बनाना चाहते थे?
Answer
Answer:
संकेतः
- ‘तीसरी कसम’ कहानी बहुत ही सशक्त थी।
- शैलेन्द्र एक भावुक हृदय कवि थे।
- वे धन दौलत के लिए नहीं, अपनी आत्म-संतुष्टि के लिए फ़िल्म बनाना चाहते थे।
Question 6.
“तीसरी कसम’ फिल्म को सैल्युलाइड पर लिखी कविता क्यों कहा है?
Answer
Answer:
संकेतः
- सैल्युलाइड का अर्थ है- कैमरे की रील।
- ‘तीसरी कसम’ को कागज पर न लिखकर कैमरे की रील पर उतारा गया।
- ‘तीसरी कसम’ कविता की तरह भावनाओं को छूने वाली है
- यह फिल्म कविता की भाव-शैली में गुंथी हुई परदे पर उतारी गई है।
Question 7.
शैलेन्द्र के अनुसार कलाकार का क्या कर्तव्य होना चाहिए?
Answer
Answer:
संकेतः
- दर्शकों की रुचियों का परिष्कार करना।
- विकृत मानसिकता को बढ़ावा न दें।
- अपनी फ़िल्म से कुछ ऐसा संदेश दे जिससे समाज का भला हो सके।
Question 8.
शैलेन्द्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्मों में झलकती है। स्पष्ट कीजिए।
Answer
Answer:
संकेतः
- शैलेन्द्र एक भावुक और आदर्शवादी व्यक्ति थे।
- उनकी फ़िल्म का हीरामन भी केवल दिल की भाषा समझता है, दिमाग की नहीं।
- शैलेन्द्र जैसे भाव-प्रवण गीत लिखते थे- वैसी ही भाव-प्रवणता उन्होंने ‘तीसरी कसम’ को प्रदान की।