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NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 4 आत्मकथ्य

by Sudhir
November 6, 2021
in 10th Hindi, Class 10th Solutions
Reading Time: 2 mins read
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NCERT Class 10th Hindi Solutions
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NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 4 आत्मकथ्य

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 4 आत्मकथ्य.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने के लिए कहता है, क्यों? [Imp.] [A.I. CBSE 2008; CBSE]
अथवा
बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए क्यों कहा गया? तर्कसहित उत्तर दीजिए। [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009; CBSE]
उत्तर:
कवि अपनी आत्मकथा सुनाने से इसलिए बचना चाहता है, क्योंकि

  • कवि के जीवन में सुखद यादें कम, दुख और निराशा अधिक है।
  • कवि अपने दुख दूसरों के सामने सुनाकर उपहास का पात्र नहीं बनना चाहता है।
  • कवि अपने मित्रों को यह एहसास नहीं दिलाना चाहता है कि उसके दुखों का कारण तुम्हीं लोग हो।
  • कवि के दुख और वेदनाएँ समय के साथ दब गई हैं। वह उन्हें उभारना नहीं चाहता है।

प्रश्न 2.
कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है? [CBSE]
अथवा
‘उत्साह’ कविता के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
कवि आत्मकथा को लिखने का उचित समय नहीं मानता है। क्योकि अभी तक के उसके जीवन में ऐसी कोई महानता नहीं है जिसके उल्लेख से लोगों को प्रेरणा मिले। कवि कहता है कि मेरे हृदय में अनेक व्यथा-कथाएँ सुस्त पड़ी हुई हैं, जिससे मैं शांतचित्त हूँ। उन्हें पुनः स्मरण कर जीवन को व्यथित नहीं करना चाहता हूँ। साथ ही कवि अपनी दुर्बलताओं और प्रेम के क्षणों को सबके सम्मुख प्रकट भी नहीं करना चाहता है। ऐसा करना उसे उचित नहीं लगता है।

प्रश्न 3.
कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है? [CBSE]
उत्तर:
स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय है-उसके जीवन के उन सुनहरे पलों की सुखद यादें जो उसने पत्नी के साथ सँजोई थी। यही यादें अब उसके जीवन पथ के लिए सहारा बनी हैं। इन्हीं के सहारे वह जीवन जी रहा है।

प्रश्न 4.
शब्दों को ऐसा प्रयोग जिससे कविता के किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द हैं जिनमें नाद-सौंदर्य मौजूद है, छाँटकर लिखें।
उत्तर:
(क) कवि ने अपने जीवन की अनुभूति को स्पष्ट किया है कि सुख उसके जीवन के लिए प्रवंचना मात्र बनकर रह गया। वह सुख की कल्पना करते ही रह गए और सुख उसके जीवन में केवल झाँकी दिखाकर चला गया। कब आया और कब चला गया, उन्हें पता ही नहीं चला। इस तरह कवि स्वप्न में ही सुख का अनुभव कर रहा था और आँख खुलते ही सुख विलीन हो गया।

(ख) कवि अपनी प्रेयसी की मधुर-स्मृतियों में थोड़ी देर के लिए निमग्न हो जाता है। और अपनी प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहता है कि उसके गालों की रक्तिम आभा उषा काल में उदित होते हुए सूर्य की अरुणिमा के समान सुंदर थी। जिसकी छाया में ऊषा भी अनुराग से भर जाती थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
जैसे बादल उमड़-घुमड़कर बारिश करते हैं वैसे ही कवि के अंतर्मन में भी भावों के बादल उमड़-घुमड़कर कविता के रूप में अभिव्यक्त होते हैं। ऐसे ही किसी प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर अपने उमड़ते भावों को कविता में उतारिए।
उत्तर
लख ये काले-काले बादल नील सिंधु में खिले कमल दल हरित ज्योति चपला अति चंचल सौरभ के रस के।। छोड़ गए गृह जब से प्रियतम बीते कितने दृश्य मनोरम क्या मैं ऐसी ही हूँ अक्षम
जो न रहे बस के।

पाठेतर सक्रियता

प्रश्न 1.
बादलों पर अनेक कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन करें और उनका चित्रांकन भी कीजिए।
उत्तर:
सुमित्रानंदन की ‘बादल’ कविता पढ़े तथा उसका संकलन करें।

अट नहीं रही है।

प्रश्न 1.
छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों को बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है? लिखिए।
उत्तर:
छायावादी कविता प्रकृति के चित्रण द्वारा मन के भावों को व्यक्त करती है। इसका प्रमाण निम्नलिखित पंक्तियों | में मिलता है
आभा फागुन की तन सट नहीं रही है।
यहाँ फागुन की शोभा का ही चित्रण नहीं है, अपितु लोगों के मन में उठी उमंग का भी चित्रण है।
कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो, उड़ने को नभ में तुम पर-पर कर देते हो। यहाँ साँस लेना, घर-घर भरना, नभ में उड़ने को पर-पर करना–तीनों स्थितियाँ फागुन और मानव-मन दोनों के लिए प्रयुक्त हुई हैं। यहाँ आकर फागुन और मानव-मन मानो एक हो गए हैं। जो फागुन के तन से प्रकट हो रहा है, वही मानव-मन से प्रकट हो रहा है।

प्रश्न 2.
कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? । [Imp.][CBSE] |
उत्तर :
फागुन बहुत मतवाला, मस्त और शोभाशाली है। उसका रूप-सौंदर्य रंग-बिरंगे फूलों, पत्तों और हवाओं में प्रकट हो रहा है। फागुन के कारण मौसम इतना सुहाना हो गया है कि उस पर से आँख हटाने का मन नहीं करता।

प्रश्न 3.
प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है? [Imp.] [A.I. CBSE 2008 C]
अथवा
‘अट नहीं रही है’ कविता में चित्रित फागुन के सौंदर्य के विभिन्न चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। [CBSE 2012]
उत्तर:
कवि ने प्रकृति की सुंदरता की व्यापकता को वर्णन अनेक प्रकार से किया है। उसे हर जगह छलकता हुआ दिखाया है। घर-घर में फैला हुआ दिखाया है। कवि ने जान-बूझकर उसे किसी एक दृश्य में नहीं बाँधा है, बल्कि असीम दिखाया है। कहीं साँस लेते हो’ का आशय है कि कहीं मादक हवाएँ चल रही हैं। घर-घर में भरने के भी अनेक रूप हैं। शोभा का भरना, फूलों का भरना, खुशी और उमंग का भरना। ‘उड़ने को पर-पर करना’ भी ऐसा सांकेतिक प्रयोग है जिसके विस्तृत अर्थ हैं। यह वर्णन पक्षियों की उड़ान पर भी लागू होता है और मन की उमंग पर भी। सौंदर्य से आँख न हटा पाना भी उसके विस्तार की झलक देता है।

प्रश्न 4.
फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओं से भिन्न होता है? [CBSE]
अथवा
‘अट नहीं रही है’ कविता के आधार पर फागुन के सौंदर्य का चित्रण कीजिए जिसके आधार पर उसे अन्य ऋतुओं से भिन्न समझा जाता है। [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2009]
उत्तर:
फागुन में वातावरण बहुत मीठा और सुहावना होता है। धरती पर सबसे अधिक फूल खिलते हैं। आसमान साफ-स्वच्छ होता है। पक्षियों के समूह आकाश में विहार करते दिखाई देते हैं। वृक्षों पर नए फूल-पत्ते उगते हैं। ये विशेषताएँ अन्य महीनों में नहीं होतीं।

प्रश्न 5.
इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिल्प की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
छायावादी शिल्प की पहली विशेषता है-प्रकृति-चित्रण द्वारा मन के भावों को प्रकट करना। इस कविता में भी फागुन के द्वारा मन की मस्ती और उमंग का चित्रण किया गया है। ‘घर-घर भर देते हो’ में फूलों की शोभा की ओर भी संकेत है और मन में उठी खुशी की ओर भी।
छायावाद की दूसरी विशेषता है-मानवीकरण। कवि ने फागुन को नायक मानकर उससे वार्ता की है। उसे संबोधित करते हुए कहा है
कहीं साँस लेते हो,
घर-घर भर देते हो। छायावाद की तीसरी विशेषता है-गीति-शैली। इसमें भी गीत-शैली के सभी गुण हैं-संक्षिप्तता, अनुभूति, गेयता, प्रवाहपूर्ण भाषा।
छायावाद की सबसे बड़ी विशेषता है–सांकेतिकता। छायावादी शब्द में शब्द से परे बहुत कुछ ध्वनित होता है। यह विशेषता इस कविता में भी है।
संस्कृतनिष्ठ लघु-लघु शब्दों का प्रयोग भी छायावादी शिल्प की विशेषता है जो इस कविता में स्पष्ट दिखाई देती है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 6.
होली के आसपास प्रकृति में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं, उन्हें लिखिए।
उत्तर:
होली के आसपास वसंत ऋतु होती है। सभी पेड़-पौधे पुराने पत्ते गिरा देते हैं तथा नए-नए पत्ते धारण करते हैं। खेतों में सरसों फूल उठती है। हर तरफ पीले फूल दिखाई देते हैं।

पाठेतर सक्रियता ।

प्रश्न 1
फागुन में गाए जाने वाले गीत जैसे होरी, फाग आदि गीतों के बारे में जानिए।
उत्तर:
मिला बन में मुरलिया वाला सखी मिला बन में मुरलिया वाला।
सखी कोई कहे देखो मोहन है आए, कोई कहे नन्दलाला। सखी मिला बन में मुरलिया वाला। सखी धर पिचकारी खड़े ग्वाल सब कोई धरे हैं गुलाला। सखी मिला बन में मुरलिया वाला। सखी मोरी साड़ी मेरो तन-मन भिगोए देखो नन्द के लाला। सखी मिला बन में मुरलिया वाला।

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