NCERT Class Solutions
  • Home
  • 9th Solutions
    • Maths Solutions
    • Science Solutions
    • Social Science Solutions
  • 10th Solutions
    • Science Solutions
    • Maths Solutions
    • Social Science Solutions
    • English Solutions
    • Hindi Solutions
    • Sanskrit Solutions
  • NCERT Books
    • Class 10 Books PDF
    • Class 9 Books PDF
  • About Us
    • Write for Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
  • MP Board
    • MP Board Solutions
    • Previous Year Papers
No Result
View All Result
  • Home
  • 9th Solutions
    • Maths Solutions
    • Science Solutions
    • Social Science Solutions
  • 10th Solutions
    • Science Solutions
    • Maths Solutions
    • Social Science Solutions
    • English Solutions
    • Hindi Solutions
    • Sanskrit Solutions
  • NCERT Books
    • Class 10 Books PDF
    • Class 9 Books PDF
  • About Us
    • Write for Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
  • MP Board
    • MP Board Solutions
    • Previous Year Papers
No Result
View All Result
NCERT Class Solutions
No Result
View All Result
ADVERTISEMENT
Home Class 10th Solutions 10th Hindi

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 1 पद

by Sudhir
November 6, 2021
in 10th Hindi, Class 10th Solutions
Reading Time: 2 mins read
0
NCERT Class 10th Hindi Solutions
863
VIEWS
Share on FacebookShare on Twitter

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 1 पद

These Solutions are part of NCERT Solutions for Class 10 Hindi. Here we have given NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 1 पद.

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है? [CBSE]
अथवा
गोपियों ने उद्धव को भाग्यशाली क्यों कहा है? क्या वे वास्तव में भाग्यशाली हैं? [CBSE 2012]
उत्तर:
गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में निहित व्यंग्य यह है कि वे उद्धव को बड़भागी कहकर उन्हें अभाग्यशाली होने की ओर संकेत करती हैं। वे कहना चाहती हैं कि उद्धव तुम श्रीकृष्ण के निकट रहकर भी उनके प्रेम से वंचित हो और इतनी निकटता के बाद भी तुम्हारे मन में श्रीकृष्ण के प्रति अनुराग नहीं पैदा हो सका। ऐसा तो तुम जैसे भाग्यवान के ही हो सकता है जो इतना निष्ठुर और पाषाण हृदय होगा अर्थात् गोपियाँ कहना चाहती हैं कि उद्धव तुम जैसा अभागा शायद ही दूसरा कोई हो।

प्रश्न 2.
उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है? [CBSE]
उत्तर
उद्धव के व्यवहार की पहली तुलना ऐसे कमल-पत्र से की गई है जो पानी में रहते हुए भी पानी से गीला नहीं होता। उद्धव की दूसरी तुलना तेल से युक्त ऐसे घड़े से की गई है जो जल में डुबोने पर भी पानी से नहीं भीगता।

प्रश्न 3.
गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं? [Imp.][CBSE]
उत्तर:
गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए–

  • उद्धव तुमने प्रीति नदी में कभी पैर नहीं डुबोया।
  • तुम कृष्ण के समीप रहकर भी उनके प्रेम से वंचित रह गए।
  • योग संदेश हम जैसों के लिए कड़वी ककड़ी. के समान है।
  • हम तुम्हारी तरह नहीं हैं जिन पर कृष्ण के प्रेम का असर न हो।
  • उद्धव पहले के लोग ही अच्छे थे जो दूसरों की भलाई के लिए भागते-फिरते थे।

प्रश्न 4.
उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया? [CBSE]
उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण के चले जाने पर, उनसे अपने मन की प्रेम भावना को प्रकट न कर पाने के कारण विरहाग्नि में पहले से दग्ध हो रही थीं। उन्हें आशा थी कि श्रीकृष्ण लौटकर आएँगे, किंतु वे नहीं आए। जब उनका योग-संदेश उद्धव के द्वारा प्राप्त हुआ, तो उनकी विरहाग्नि और तीव्रतर हो गई। इस तरह योग-संदेश ने विरहाग्नि में घी का काम किया।

प्रश्न 5.
‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है? [CBSE 2012] |
उत्तर:
गोपियाँ श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। वे श्रीकृष्ण से भी अपने प्रेम के बदले प्रेम का प्रतिदान चाहती थीं। प्रेम के बदले प्रेम का आदान-प्रदान ही मर्यादा है, किंतु श्रीकृष्ण ने प्रेम संदेश के स्थान पर योग संदेश भेजकर मर्यादा का निर्वाह नहीं किया। इसके विपरीत गोपियों ने श्रीकृष्ण का प्रेम पाने के लिए सारी मर्यादाओं को एक किनारे रख दिया था।

प्रश्न 6.
कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है? [Imp.] [CBSE]
उत्तर:
गोपियों ने श्रीकृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को प्रकट करते हुए कहा कि

  1. हमारा श्रीकृष्ण के प्रति स्नेह-बंधन गुड़ से चिपटी हुई चींटियों के समान है।
  2. श्रीकृष्ण उनके लिए हारिल की लकड़ी के समान हैं।
  3. हम गोपियाँ मन-कर्म-वचन सभी प्रकार से कृष्ण के प्रति समर्पित हैं।
  4. हम सोते-जागते, दिन-रात उन्हीं का स्मरण करती हैं।
  5. हमें योग-संदेश तो कड़वी ककड़ी की तरह प्रतीत हो रहा है। हम योग संदेश नहीं बल्कि श्रीकृष्ण का प्रेम चाहती हैं।

प्रश्न 7.
गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है? [CBSE]
उत्तर:
गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने के लिए कही है जिनका मन चक्र के समान अस्थिर रहता है तथा एक जगह न टिककर इधर-उधर भटकता रहता है।

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें। [Imp.][CBSE]
उत्तर:
प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का दृष्टिकोण स्पष्ट है कि प्रेमासक्त और स्नेह-बंधन में बँधे हृदय पर अन्य किसी उपदेश का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वे उपदेश अपने ही प्रिय के द्वारा क्यों न दिए गए हों। यही कारण था कि अपने ही प्रिय श्रीकृष्ण के द्वारा भेजा गया योग-संदेश उनको प्रभावित नहीं कर सका।

प्रश्न 9.
गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए? [CBSE 2012]
उत्तर:
गोपियाँ राजधर्म के बारे में बताती हुई उद्धव से कहती हैं कि राजा का कर्तव्य यही है कि वह अपनी प्रजा की भलाई की बात ही हर समय सोचे। उसे अपनी प्रजा को बिलकुल भी नहीं सताना चाहिए।

प्रश्न 10.
गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं? [CBSE]
उत्तर:
श्रीकृष्ण द्वारा प्रेषित योग-संदेश को उद्धव से सुनकर गोपियाँ अवाक् रह गईं और उन्हें लगा कि श्रीकृष्ण के मथुरा चले जाने पर उनके सोच में परिवर्तन हो गया है। वे प्रेम के प्रतिदान के बदले योग-संदेश देने लगे हैं। श्रीकृष्ण पहले जैसे न रहकर एक कुशल राजनीतिज्ञ हो गए हैं, जो छल-प्रपंच का भी सहारा लेने लगे हैं। राजधर्म की उपेक्षा कर अनीति पर उतर आए हैं। इन परिवर्तनों को देख वे अपना मन वापस पाने की बात कहती हैं।

प्रश्न 11.
गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए? [V. Imp.]
उत्तर:
उद्धव अत्यंत ज्ञानी हैं। उनके ज्ञान-कौशल को देखते हुए श्रीकृष्ण ने उन्हें गोपियों को योग संदेश देने भेजा था पर गोपियों के वाक्चातुर्य से ज्ञानी उद्धव परास्त हो गए। उनके वाक्चातुर्य की निम्नलिखित विशेषताएँ थीं

  • व्यंग्यात्मकता : गोपियाँ व्यंग्य करने में प्रवीण हैं। वे उद्धव को बड़भागी कहकर उन पर करारा व्यंग्य करती हैं। ऐसा कहकर वे उद्धव को अभागा कहने से नहीं चूकती हैं।
  • स्पष्टता : गोपियाँ उद्धव से अपनी बातें बिना लाग-लपेट कह देती हैं। वे उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते और तेल लगी गागर से करती हैं तथा योग को कड़वी ककड़ी जैसा बताती हैं।
  • भावुकता : गोपियाँ अपनी बातें कहते-कहते भावुक भी हो जाती हैं।
  • उपालंभ का आश्रय : गोपियों की बातों में उपालंभ का भाव निहित है। वे कृष्ण को अनीति करने वाले तक कह देती हैं।

प्रश्न 12.
संकलित पदों को ध्यान में रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मुख्य विशेषताएँ बताइए? [केंद्रीय बोर्ड प्रतिदर्श प्रश्नपत्र 2008]
उत्तर:
सूरदास जी का भ्रमरगीत जिन विशेषताओं के आधार पर अप्रतिम बन पड़ा है वे विशेषताएँ इस प्रकार हैं

  1. सूरदास जी के भ्रमरगीत में निर्गुण ब्रह्म का विरोध और सगुण ब्रह्म की सराहना है।
  2. वियोग शृंगार का मार्मिक चित्रण है।
  3. गोपियों की स्पष्टता, वाक्पटुता, सहृदयता, व्यंग्यात्मकता सर्वथा सराहनीय है।
  4. एकनिष्ठ प्रेम का दर्शन है।
  5. गोपियों का वाक्चातुर्य उद्धव को मौन कर देता है।
  6. आदर्श प्रेम की पराकाष्ठी और योग का पलायन है।
  7. स्नेहसिक्त उपालंभ अनूठा है।

प्रश्न 13.
गोपियों ने उद्धव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए हैं, आप अपनी कल्पना से और तर्क दीजिए।
उत्तर:
गोपियाँ अपने तर्क में कई और भी बातें शामिल कर सकती थीं। वे कह सकती थीं कि यदि योग इतना ही महत्त्वपूर्ण था तो श्रीकृष्ण ने उनसे पहले प्रेम ही क्यों किया था? यदि ऐसा ज्ञात होता कि कृष्ण का प्रेम नाटकीय है तो हम अपना मन समर्पित कर आज इतने व्यथित क्यों होते?

यह भी संभव है कि हे उद्धव! तुम्हारे समीप रहते-रहते ज्ञान की बातें सुनते-सुनते तुम्हारा ही प्रभाव पड़ गया हो और प्रेम की तुलना में अब उन्हें योग ही श्रेष्ठ लगने लगा हो। उद्धव हमारे पास एक ही मन था, जिसे हमने कृष्ण को समर्पित कर दिया है। अब निर्गुण ब्रह्म का ध्यान किस मन से करें। हे उद्धव! हमारे लिए यह संभव नहीं है कि हम प्रेम को छोड़कर योग को अपनाएँ।

प्रश्न 14.
उद्धव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों के पास ऐसी कौन-सी शक्ति थी जो उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठी?
उत्तर:
उद्धव ज्ञानी थे, किंतु उन्हें व्यावहारिकता का अनुभव नहीं था। उस पर भी वे प्रेम के क्षेत्र में तो पूर्णतः अनभिज्ञ थे। इसलिए गोपियों ने कहा था ‘प्रीति नदी में पाउँ न बोरयौ’-इस कारण व्यावहारिक ज्ञान के अभाव में गोपियों की वाक्पटुता के सम्मुख उद्धव को विवश हो चुप रहना पड़ा। इसके अलावा गोपियों के पास श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम, असीम लगाव और समर्पण की शक्ति थी। वे अपने प्रेम के प्रति दृढ़ विश्वास रखती थीं। यह सब उनके वाक्चातुर्य में मुखरित हो उठा।

प्रश्न 15.
गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘हरि अब राजनीति पढ़ आए हैं।’ गोपियों ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि कृष्ण ने उनके निष्छल प्रेम के बदले योग संदेश भिजवाकर उनके साथ अन्याय किया है और प्रेम की मर्यादा भंग की है।

गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति में पूरी तरह से नजर आता है। आज राजनीति को छल-कपट, प्रपंच, झूठ, फरेब, धोखाधड़ी, छीना-झपटी आदि का दूसरा नाम माना जाने लगा है। इन कार्यों में जो जितना निपुण है, वह उतना ही बड़ा नेता कहलाता है। इस तरह की राजनीति में धर्म, कर्तव्य, विश्वास, ईमानदारी, सदाचार जैसे मूल्यों के लिए कोई जगह नहीं है। जिस तरह गोपियों को कृष्ण को राजधर्म की याद दिलानी पड़ी, उसी तरह आज के नेता भी अपना राजधर्म पूर्णतया विस्मृत कर चुके हैं।

Previous Post

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

Next Post

NCERT Class 10 Hindi Solutions Kshitij – Chapter 10 नेताजी का चश्मा

Related

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions
10th Sanskrit

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 4 चित्रवर्णनम्

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions
10th Sanskrit

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 3 अनुच्छेदलेखमन्

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Categories

  • Books
    • Class 10 Books PDF
  • Class 10th Solutions
    • 10th English
    • 10th Hindi
    • 10th Maths
    • 10th Sanskrit
    • 10th Science
    • 10th Social Science
  • Class 9th Solutions
    • 9th Maths
    • 9th Science
    • 9th Social Science
  • MP Board
  • Uncategorized

Recent

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 4 चित्रवर्णनम्

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 3 अनुच्छेदलेखमन्

NCERT Class 10th Sanskrit Solutions

Abhyasvan Bhav Sanskrit Class 10 Chapter 2 पत्रलेखनम्

NCERT Class Solutions

We provide NCERT Solutions

NCERT Class Solutions App Play Store

Follow Us

Browse By Category

  • Books
    • Class 10 Books PDF
  • Class 10th Solutions
    • 10th English
    • 10th Hindi
    • 10th Maths
    • 10th Sanskrit
    • 10th Science
    • 10th Social Science
  • Class 9th Solutions
    • 9th Maths
    • 9th Science
    • 9th Social Science
  • MP Board
  • Uncategorized
  • Write for Us
  • Privacy Policy
  • Contact Us

© 2022 NCERT Class Solutions .

No Result
View All Result
  • Home
  • 9th Solutions
    • Maths Solutions
    • Science Solutions
    • Social Science Solutions
  • 10th Solutions
    • Science Solutions
    • Maths Solutions
    • Social Science Solutions
    • English Solutions
    • Hindi Solutions
    • Sanskrit Solutions
  • NCERT Books
    • Class 10 Books PDF
    • Class 9 Books PDF
  • About Us
    • Write for Us
    • Contact Us
    • Privacy Policy
    • Disclaimer
  • MP Board
    • MP Board Solutions
    • Previous Year Papers

© 2022 NCERT Class Solutions .

This website uses cookies. By continuing to use this website you are giving consent to cookies being used. Visit our Privacy and Cookie Policy.